इंदौर (मध्यप्रदेश): इंदौर में तीन "ट्रांसवुमन" को सरेआम पीटने और उनके सिर के लंबे बाल काटकर उन्हें बेइज्जत करने के आरोपों में तृतीय लिंग के अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी.
"ट्रांसवुमन" यानी ऐसे लोग जिन्हें जन्म के समय पुरुष माना गया था, लेकिन उनकी लैंगिक पहचान महिला की होती है और वे खुद को महिला के तौर पर सहज महसूस करते हैं.
पुलिस अधिकारियों ने जानकारी दी कि यह घटना तब हुई जब ट्रांसवुमन अपने लुक को महिला के रूप में अपनाए हुए थीं. आरोपी समूह ने इन महिलाओं को ‘असली ट्रांसजेंडर’ होने या ‘नकली’ होने पर सवाल उठाया. इसके बाद आरोपियों ने इन महिलाओं के कपड़े उतारने की कोशिश की और उनके सिर के लंबे बाल काट दिए. यह घटना न केवल नफरत और भेदभाव की पराकाष्ठा थी, बल्कि इसके जरिए समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय के प्रति घृणा और असंवेदनशीलता का भी खुलासा हुआ.
पुलिस अधिकारी के अनुसार, इस घटना को लेकर एमजी रोड पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और आरोपियों की पहचान की जा रही है. यह घटना ट्रांसवुमन के अधिकारों की सुरक्षा और उनके प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव पर गंभीर सवाल उठाती है.
जिला ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के सदस्य निकुंज ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, "यह कोई पहली बार नहीं है जब ट्रांसवुमन के साथ ऐसी घटनाएं हुई हैं. हमें समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है और पुलिस-प्रशासन को इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए."
सामाजिक न्याय विभाग की संयुक्त संचालक सुचिता तिर्की बेक ने कहा कि ऐसे घटनाओं की रोकथाम के लिए तृतीय लिंग समुदाय के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. इसके साथ ही, समुदाय के प्रमुखों से भी बात की जाएगी ताकि ऐसी हिंसा को रोका जा सके.
ट्रांसजेंडर समुदाय की कार्यकर्ता संध्या घावरी ने कहा, “समाज में बदलाव आ चुका है. अब कई ट्रांसजेंडर युवा अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और पारंपरिक नेग मांगने के बजाय सम्मानजनक तरीके से अपना जीवन यापन करना चाहते हैं.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी ट्रांसवुमन पर दबाव नहीं डाला जा सकता कि वह पारंपरिक तरीके से ही जीवन यापन करे.
यह घटना ट्रांसजेंडर समुदाय के खिलाफ भेदभाव, हिंसा और असंवेदनशीलता का एक और उदाहरण है. इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने और समाज में संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों.
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