नीट पेपर लीक मामले में सुनवाई, CJI बीच गए भड़के, बोले-बात साबित करने के लिए...

Neet Paper Leak: नीट पेपर लीक को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. अदालत से मांग की गई है कि कथित पेपर लीक को देखते हुए फिर से एग्जाम करवाए जाएं. सुनवाई के दौरान जब पीठ सेंटर चुनने और करेक्शन विंडो को लेकर चर्चा कर रही थी तो वक्त वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि ये चर्चा रास्ते से भटक रही है. एकमात्र मुद्दा यह है कि क्या दोबारा एग्जाम की जरूरत है या नहीं, लेकिन चर्चा किसी और चीज पर हो रही है.

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Neet Paper Leak: नीट पेपर लीक मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई लगातार हो रही है. आज कोर्ट में नीट पेपर लीक मामले को लेकर चर्चा हुई जिसमें सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि मुद्दा सिर्फ ये है कि क्या दोबारा एग्जाम की जरूरत है या नहीं, लेकिन चर्चा किसी और चीज पर हो रही है. इस पर सीजेआई ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है, ये जरूरी मुद्दा है. 

वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने आईआईटी रिपोर्ट को झूठा करार दे दिया. इससे सीजेआई नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि आप संस्थान के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. अपनी बात साबित करने के लिए तथ्य रखें. फिलहाल पीठ लंच के लिए चली गई है. लंच के बाद अब इस मामले पर सुनवाई होगी.

सेंटर चुनने का विकल्प नहीं

कोर्ट में सुनवाई के दौरान जब पेपर लीक को लेकर बात होने लगी तो चीफ जस्चिस ने एनटीए के वकील से पूछा कि उम्मीदवार एप्लिकेशन फॉर्म भरते हैं, तो उन्हें शहर या केंद्र का विकल्प चुनना होता है? इसके जवाब में एनटीए के वकील ने हां कहा. वकील ने बताया कि छात्रों के पास शहर चुनने का ऑप्शन होता है, वे सेंटर का चुनाव नहीं कर सकते हैं. 

आईआईटी रिपोर्ट पर उठे सवाल

नीट पेपर लीक पर सुनवाई के समय आईआईटी मद्रास के जरिए बनाई गई रिपोर्ट पर कई सवाल उठाया गया है. जिस वक्त सॉलिसिटर जनरल टॉपर्स की जानकारी दे रहे थे, उसी वक्त याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जयपुर से 9 लोग हैं, जो टॉप 100 में हैं. मगर आईआईटी की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि रिपोर्ट का मकसद ये दिखाना है कि टॉपर्स देशभर में फैले हुए हैं. 

गड़बड़ी साबित करें- सुप्रीम कोर्ट

नीट पेपर लीक मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप हमारे सामने ये साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी री- एग्जान का आदेश दिया जा सकता है. याचिकाकर्ता छात्रों के वकील ने कहा कि कुछ ऐसे छात्र भी आए हैं जिनकी रैंक 1 लाख 8 हज़ार छात्रों के बीच है, लेकिन उनको सरकारी कॉलेज नहीं मिला. 

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