भारत में कैंसर के बाद मृत्यु दर में वृद्धि: अध्ययन से खुलासा

नई दिल्ली : एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि भारत में कैंसर का निदान होने के बाद पांच में से तीन मरीजों की मौत हो जाती है, और महिलाओं पर यह बीमारी पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक भारी पड़ रही है. यह आंकड़ा वैश्विक कैंसर डेटा का विश्लेषण करने के बाद सामने आया है, जिससे भारत में कैंसर से होने वाली मौतों की गंभीर स्थिति को उजागर किया गया है.

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Courtesy: social media

नई दिल्ली : एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि भारत में कैंसर का निदान होने के बाद पांच में से तीन मरीजों की मौत हो जाती है, और महिलाओं पर यह बीमारी पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक भारी पड़ रही है. यह आंकड़ा वैश्विक कैंसर डेटा का विश्लेषण करने के बाद सामने आया है, जिससे भारत में कैंसर से होने वाली मौतों की गंभीर स्थिति को उजागर किया गया है.

भारत में कैंसर से मृत्यु दर

‘द लांसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया’ जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के मरीजों की मृत्यु दर अमेरिका और चीन से काफी अधिक है. अमेरिका में हर चार में से एक व्यक्ति कैंसर के कारण जान गंवाता है, जबकि चीन में यह आंकड़ा दो में से एक है. भारत, चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है जहां कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में कैंसर से होने वाली 10 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं, जो चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है.

आने वाले दशकों में बढ़ेगा कैंसर का खतरा

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के अध्ययन के अनुसार, आगामी दो दशकों में भारत को कैंसर से संबंधित मौतों के प्रबंधन में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. इसमें अनुमान जताया गया है कि आबादी के उम्रदराज होने के साथ कैंसर के मामलों में हर साल 2 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. 

भारत में सबसे आम कैंसर और उनके प्रभाव

अध्ययन में यह भी सामने आया कि भारत में पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करने वाले पांच प्रमुख कैंसर कैंसर के कुल 44 प्रतिशत मामलों का कारण हैं. हालांकि, महिलाओं के लिए स्थिति और भी गंभीर है, क्योंकि स्तन कैंसर देश में सबसे आम कैंसर बन चुका है, जो कि 13.8 प्रतिशत नए मामलों का हिस्सा है. इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा कैंसर (9.2 प्रतिशत) आता है.

महिलाओं में स्तन कैंसर के मामलों की हिस्सेदारी लगभग 30 प्रतिशत है, जबकि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के मामले 19 प्रतिशत हैं. वहीं, पुरुषों में मुख कैंसर सबसे आम है, जिसके 16 प्रतिशत नए मामले सामने आए हैं. 

आयु समूह के हिसाब से कैंसर का प्रभाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि कैंसर का सबसे अधिक बोझ वृद्ध व्यक्तियों (70 वर्ष और उससे अधिक) पर है, जिनमें कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं. 15 से 49 वर्ष के आयु वर्ग में भी कैंसर के मामले बहुतायत में पाए गए और कैंसर से संबंधित मौतों का 20 प्रतिशत इसी आयु वर्ग में हुआ है.

भारत में कैंसर की स्थिति पर एक गहन अध्ययन

यह अध्ययन भारत में कैंसर के वर्तमान और भविष्य के परिदृश्य का पहला व्यापक मूल्यांकन माना जा रहा है. यह विशेष रूप से विभिन्न आयु समूहों और लिंग असमानताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकॉन) 2022 और ग्लोबल हेल्थ ऑब्जर्वेटरी (जीएचओ) डेटाबेस के जरिए इस अध्ययन ने भारत में कैंसर के मामलों और मौतों की गंभीरता को बखूबी दर्शाया है.

भारत में कैंसर के निदान के बाद मृत्यु दर के आंकड़े बहुत ही चिंताजनक हैं और आने वाले समय में यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है. कैंसर की रोकथाम और इलाज के लिए अधिक संसाधनों और बेहतर चिकित्सा व्यवस्था की आवश्यकता है, ताकि इस महामारी से बचाव और उपचार की प्रक्रिया में सुधार हो सके.
 

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