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भारत- बांग्लादेश में समझौते की घोषणा, एक-दूसरे की हिरासत में बंद मछुआरों को आज करेंगे रिहा

भारत और बांग्लादेश ने अपने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. समझौते के अनुसार, बांग्लादेश 5 जनवरी को 95 भारतीय मछुआरों को भारतीय अधिकारियों को सौंपेगा. इसी दिन भारत भी 90 बांग्लादेशी मछुआरों को रिहा करेगा.

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Courtesy: Social Media

India-Bangladesh Fishermen : भारत और बांग्लादेश ने अपने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के तहत एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. गुरुवार को दोनों देशों ने घोषणा की कि वे सीमा पार करने के बाद हिरासत में लिए गए मछुआरों को रिहा करने पर सहमत हो गए हैं. यह समझौता उनके मछली पकड़ने वाले समुदायों की मानवीय और आजीविका संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है.  

समझौते के अनुसार, बांग्लादेश 5 जनवरी को 95 भारतीय मछुआरों को भारतीय अधिकारियों को सौंपेगा. इसी दिन भारत भी 90 बांग्लादेशी मछुआरों को रिहा करेगा. सरकारी बयान में कहा गया है कि यह कदम विवादित जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के दौरान अनजाने में समुद्री सीमा पार करने वाले मछुआरों की समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से उठाया गया है.  

सीमा पार घटनाओं के कारण  

भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि हाल के महीनों में कई भारतीय मछुआरे बांग्लादेश के जलक्षेत्र में प्रवेश करने के कारण गिरफ्तार हुए हैं. इसी प्रकार, भारतीय अधिकारियों ने भी बांग्लादेशी मछुआरों को हिरासत में लिया है. बयान में कहा गया कि मछुआरों को अक्सर समुद्री सीमा पार करने के कारण गिरफ्तार किया जाता है, जो मुख्य रूप से अनजाने में होता है.  

द्विपक्षीय संबंधों में तनाव  

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत और बांग्लादेश के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों विशेष रूप से हिंदूओं पर हमलों को लेकर चिंता जताई है. इसके अलावा, पिछले महीने बांग्लादेश सरकार ने भारत को एक राजनयिक नोट भेजा, जिसमें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी. अगस्त में बड़े पैमाने पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना बांग्लादेश से भागकर भारत में रह रही हैं. इस मुद्दे ने दोनों देशों के संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया है.  

समझौते का महत्व  

यह समझौता न केवल मछुआरों के जीवन और आजीविका की रक्षा करता है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी है. दोनों देशों की सरकारों को उम्मीद है कि यह पहल उनके संबंधों में सुधार लाने में मदद करेगी.  

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