जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गंगा में डुबकी लगाकर 14 दिन लंबे आमरण अनशन को समाप्त किया. यह अनशन बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली और युवाओं के रोजगार के मुद्दे पर था. अब, उन्होंने सत्याग्रह के दूसरे चरण की शुरुआत का ऐलान किया, जो छात्रों और युवाओं के रोजगार के अधिकारों पर केंद्रित रहेगा. इस आंदोलन का मकसद सरकार पर दबाव बनाना और छात्रों की आवाज को बुलंद करना है.
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने अपनी 14 दिन लंबी भूख हड़ताल को समाप्त कर दिया. पटना स्थित गंगा पथ पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर अनशन तोड़ा. यह भूख हड़ताल बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितताओं और छात्रों के रोजगार के मुद्दे पर थी.
प्रशांत किशोर ने अपनी भूख हड़ताल 2 जनवरी को शुरू की थी, जिसका उद्देश्य बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली और छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ विरोध जताना था. इससे पहले, 30 दिसंबर को पटना में आयोजित छात्र संसद के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज किया, जिसके बाद प्रशांत किशोर ने छात्रों के हक में अपनी भूख हड़ताल शुरू की.
गंगा स्नान के साथ ही प्रशांत किशोर ने अपनी हड़ताल समाप्त की और सत्याग्रह के दूसरे चरण का ऐलान किया. गंगा पथ के पास आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने पवित्र गंगा में स्नान कर अनशन तोड़ा. जन सुराज पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, सत्याग्रह का यह नया चरण छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दों पर केंद्रित होगा. किशोर ने स्पष्ट किया कि यह हड़ताल छात्रों की आवाज को मजबूती देने और सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए की गई थी.
पिछले साल जन सुराज पार्टी की स्थापना करने वाले प्रशांत किशोर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी का जनाधार मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं. वे छात्रों और युवाओं के रोजगार के मुद्दों पर सक्रिय समर्थन देकर एक मजबूत वोट बैंक बनाने की कोशिश में हैं. उनकी यह हड़ताल उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति मानी जा रही है.
प्रशांत किशोर की भूख हड़ताल ने बिहार में शिक्षा, परीक्षा और रोजगार से जुड़ी समस्याओं को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. छात्रों का कहना है कि बीपीएससी परीक्षा में कथित धांधली के खिलाफ आवाज उठाने पर प्रशासन ने उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया. प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर लाकर छात्रों के समर्थन में सरकार पर दबाव डाला. अब, सत्याग्रह के अगले चरण में वे इस आंदोलन को और तेज करने का मन बना चुके हैं.