Myanmar Thailand Border: भारत ने म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित साइबर अपराध केंद्रों से देश के 549 नागरिकों को सैन्य विमानों द्वारा संचालित दो उड़ानों में वापस लाया है. इस बात की जानकारी विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई है.
विदेश मंत्रालय द्वारा इस मामले में जानकारी देते हुए कहा गया कि इन नारिकों को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आईटी क्षेत्र में नौकरियों के झूठे वादों के साथ थाईलैंड या म्यांमार ले जाया गया था.
सरकार ने बताया कि यां लाने के बाद फिर उन्हें म्यांमार के अराजक सीमावर्ती क्षेत्रों में साइबर अपराध केंद्रों में ले जाया गया. जो ज्यादातर चीनी आपराधिक गिरोहों द्वारा चलाए जाते हैं. थाईलैंड की सीमा पर साइबर अपराध केंद्रों पर हाल ही में की गई कार्रवाई के दौरान अधिकांश भारतीयों को अन्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के नागरिकों के साथ मुक्त कराया गया था. उन्हें म्यांमार के म्यावड्डी क्षेत्र से थाईलैंड के माई सोत ले जाया गया और सोमवार और मंगलवार को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सी-17 हेवी लिफ्ट विमान में वापस लाने से पहले कुछ समय के लिए हिरासत केंद्रों में रखा गया.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में कहा कि भारत सरकार ने मंगलवार को भारतीय वायुसेना के विमान से 266 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की, जिन्हें दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर अपराध केंद्रों से रिहा कराया गया. सोमवार को 283 भारतीयों को इसी तरह वापस लाया गया था. उन्होंने कहा कि म्यांमार और थाईलैंड में भारतीय दूतावासों ने भारतीयों की रिहाई और स्वदेश वापसी के लिए दोनों देशों की सरकारों के साथ मिलकर काम किया.
मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया कि इन लोगों को बाद में म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर संचालित घोटाला केंद्रों में साइबर अपराध और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. भारत सरकार पहले भी प्रसारित की गई अपनी चेतावनी को दोहराते हुए कहा कि भारतीय नागरिकों को इस क्षेत्र में नौकरी करने से पहले भारतीय मिशनों के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं के बारे में पता कर लेना चाहिए. साथ ही इसमें भर्ती करवाने वाले एजेंटों के बारे में पहले पता कर लेना चाहिए.