इंटेलीजेंट है AI, केवल 1 मिनट में पता लगाता है पासवर्ड, बीमारी की छुट्‌टी का झूठ भी पकड़ लेता है

Artificial Intelligence का जादू इन दिनों टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वालों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। चाहे कोई व्यक्ति हो या कंपनी या कोई सरकार, AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने और इससे जुड़े प्रोडक्ट को आजमाने में लगे हैं। खास तौर पर जब से Microsoft के ChatGPT और Google के Bard […]

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Artificial Intelligence का जादू इन दिनों टेक्नोलॉजी में रुचि रखने वालों के सिर चढ़ कर बोल रहा है। चाहे कोई व्यक्ति हो या कंपनी या कोई सरकार, AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को बढ़ावा देने और इससे जुड़े प्रोडक्ट को आजमाने में लगे हैं। खास तौर पर जब से Microsoft के ChatGPT और Google के Bard की लॉन्चिंग हुई है, तब से AI चर्चाओं में है। इसे लेकर कुछ नई बातें भी सामने आई हैं, जो चिंताजनक है तो मददगार भी। जैसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आपके पासवर्ड का पता केवल 1 मिनट में लगा सकता है तो बीमारी का बहाना बनाकर छुट्‌टी लेने वाला कर्मचारी सच बोल रहा है या झूठ, यह एआई बता सकता है। 

Privacy को लेकर अलर्ट हों, हाई सिक्योरिटी पासवर्ड बनाएं

अपने ई-मेल, सोशल मीडिया अकाउंट, नेटबैंकिंग क्रेडेंशियल और भी बहुत से अकाउंट जिन्हें आप पासवर्ड के माध्यम से सुरक्षित रखते हैं, उनमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से सेंध लगाई जा सकती है। होम सिक्योरिटी हीरोज की ओर से AI और Passwords सिक्यूरिटी को लेकर की गई स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि एआई की मदद से 50 प्रतिशत से अधिक पासवर्ड्स को 1 मिनट से भी कम समय में क्रेक किया जा सकता है। वहीं 65 प्रतिशत पासवर्ड्स ऐसे हैं, जिन्हें केवल 1 घंटे में जबकि 81 फीसदी पासवर्ड्स केवल 1 माह के अंदर क्रेक किए जा सकते हैं। इस स्टडी के लिए Home Security Heroes ने 1 करोड़ 56 लाख 80 हजार पासवर्ड्स की लिस्ट को PassGAN नामक एआई पासवर्ड क्रैकर से चेक किया। नतीजा काफी दिलचस्प रहा जब 50 प्रतिशत से अधिक पासवर्ड केवल 1 मिनट में क्रेक कर लिए गए। 

रिपोर्ट के अनुसार क्रेक किए गए अधिकांश पासवर्ड्स सुरक्षा के लिहाज से बेहद सामान्य थे और लोगों ने इसमें अपना नाम, मोबाइल नंबर, जन्म तिथि डाल रखे थे। छोटे कैरेक्टर वाले ये कॉमन पासवर्ड याद रखने की दृष्टि से सुविधाजनक होते हैं, लेकिन सिक्योरिटी मापदंडों पर ये खरे नहीं उतरते। इस स्टडी के अनुसार वे पासवर्ड अधिक सुरक्षित होते हैं, जिनमें 18 या अधिक कैरेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही वे लोअर केस, अपरकेस, सिंबल और नंबर्स कैरेक्टर वाले होते हैं।इन पासवर्ड को क्रेक करने में 6 क्विंटलियन वर्ष लग जाते हैं। 

टेक विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी व्यक्ति को नाम, पदनाम, डेट ऑफ बर्थ, मोबाइल नंबर या बच्चों के नाम के पासवर्ड्स नहीं बनाने चाहिए। पासवर्ड्स ऐसे हों, जिनके बारे में कोई अनुमान नहीं लगा सके। बेहतर हो यदि पासवर्ड की लेंग्थ 12 से 15 कैरेक्टर हो और उसमें कम से कम एक कैपिटल लैटर, एक स्मॉल, एक सिंबल और एक नंबर शामिल किया गया हो। आप चाहें तो इन पासवर्ड्स को याद रखने के लिए पासवर्ड मैनेजर का उपयोग कर सकते हैं।

छुट्‌टी के बहानों की पोल खोल रहा AI

दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों को जब आसानी से छुट्‌टी नहीं मिलती तो कई बार वे सर्दी, खांसी, जुकाम का बहाना बनाकर छुट्‌टी मांग लेते हैं। ध्यान रहे, AI टूल्स का इस्तेमाल करने वाले दफ्तरों में अब ये बहाने नहीं चल सकेंगे, क्योंकि इन बीमारियों को लेकर बोला गया झूठ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पकड़ लेगा।

हाल ही जारी एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के टूल्स छुट्‌टी मांगने वाले कर्मचारी की आवाज सुनकर बता देंगे कि उसे असल में सर्दी-खांसी और जुकाम है या नहीं। इस शोध में AI टूल्स की मदद से बीमारी की वजह बताकर छुट्‌टी मांगने वाले कर्मचारियों के वॉइस पेटर्न पर स्टडी की गई और हार्मोनिक्स का उपयोग कर जांच पड़ताल की गई। रिसर्च में केवल 111 कर्मचारी ही ऐसे निकले, जिन्हें हकीकत में सर्दी-जुकाम हुआ था।

भारत में भी इस्तेमाल होता है AI, सरकार दे रही है खुली छूट

देश में भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस खासा लोकप्रिय होता जा रहा है, यही कारण है कि सरकार इसे लेकर खुली छूट दे रही है। हाल ही सरकार ने कहा है कि वह AI के विस्तार को रेगुलेट करने या किसी प्रकार का कानून बनाने पर विचार नहीं कर रही है। वह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को टेक्नोलॉजी और भारत की प्रगति में भावी योगदानकर्ता के रूप में देखती है। यही कारण है कि AI और दूसरी कई टेक्नोलॉजीज में आगामी संभावनाओं को तलाशने के लिए उत्कृष्टता केंद्र बनाए गए हैं। भारत में कई सरकारी और निजी संस्थान आमजन और कस्टमर्स से कम्यूनिकेशन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित चैटबॉट की मदद लेते हैं। इनमें HDFC Bank, MyGov कोरोना हेल्पडेस्क, UMANG, Digilocker आदि संस्थान शामिल हैं।

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