Covid Vaccine Result: पिछले कुछ सालों में भारत में अचानक युवाओं की मौत होने के मामले बढ़ गए है. चिंता की बात ये है कि मरने वाले ज्यातर युवा स्वस्थ्य होते हैं यानी कि उन्हें किसी भी तरह की कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. और न ही ऐसे अचानक मरने वाले लोगों की मौत के कारण ही स्पष्ट हो पाए है. इस तरह की खबरों ने अनुसन्धान कर्ताओं को प्रेरित किया कि वो इसके बारे में जांच करें. जिसके बाद ICMR ने स्वस्थ्य युवाओं की हो रही मौत का पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया.
कोई अचानक चलते-चलते गिर जाता है तो कोई जिम में एक्सरसाइज करते हुए. कोई पार्टी में डांस करते हुए तो कोई खाना कहते हुए. जी हाँ, पिछले कुछ सालों में भारत में इस तरह अचानक मौत हो जाने की कई घटनाएं सामने आयी हैं. इस लिस्ट में आम से लेकर खास आदमियों के भी नाम है. हमने हाल ही में मशहूर सिंगर के के सहित और अभी कई ऐसे चर्चित और मशहूर लोगों की मौत की खबर सुनी है. इन मौतों के बाद प्रारंभिक रिपोर्ट्स में बताया गया कि ये सब पहले से स्वस्थ्य थे और अचानक इन्हे दिल का दौरा पड़ा, जिससे इनकी मौत हो गयी.
इसी बीच लोगों में ये बात फ़ैल रही थी कि इन मौतों की वजह कोविड की वैक्सीन है. हालाँकि ये दावा सही है या नहीं इसका खुलासा ICMR की रिपोर्ट में किया गया है.
ICMR की रिपोर्ट में कोविड वैक्सीन को मिला क्लीन चिट
The Indian Council of Medical Research यानि कि ICMR पिछले तीन सालों से भारत में युवाओ के अचानक हो रहे मौत के कारण का पात लगाने के लिए एक अध्ययन कर रहा था. ICMR ने अब अपनी रिसर्च के नतीजे जारी कर दिए हैं. ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, वैक्सीन को क्लीन चिट दी गई है और बताया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वालों को सुरक्षा मिली है. लेकिन स्टडी से ये साफ़ जाहिर होता है कि कोरोना का वायरस की वजह से दिल की बीमारी और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ा है. यही वजह है कि ज्यातर मौत के मामले कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों में देखे गए हैं. ऐसे युवा जिन्हें कोविड की वजह से अस्पताल में एडमिट होना पड़ा , उनमें अचानक मौत का खतरा बढ़ा है. बता दें कि इसी वजह से कुछ लोग कोविड वैक्सीन को भी शक के दायरे में रख रहे थे. लेकिन ICMR की रिपोर्ट ने ये दावा खारिज हो गया है.
स्टडी में शामिल थे 18 से 35 साल के युवा
ICMR की रिसर्च में 18 से 45 साल के ऐसे युवा शामिल थे जिन्हें कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था . भारत के 19 राज्यों के 47 अस्पतालों में किये गए इस स्टडी का डाटा अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच का है. वही इस साल मई से अगस्त के बीच इस डाटा का एनालिसिस किया गया.
अध्यययन के दौरान ये देखा गया कि वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लगने के 42 दिनों तक मरीज कैसे रियेक्ट करता है. WHO की गाइडलाइंस के अनुसार, वैक्सीन के 42 दिन के अंदर होने वाले साइड इफेक्ट्स को वैक्सीन का असर माना जाता है. गौरतलब है कि इस स्टडी में 18 से 45 साल के ऐसे 1145 युवा शामिल थे जिनकी 1 अक्टूबर 2021 से 31 मार्च 2023 के बीच अचानक हार्ट अटैक से मौत हुई थी और साथ ही 87 प्रतिशत लोगों को कोविड वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लग चुकी थी. इसके अलावा 2 प्रतिशत को अस्पताल जाने की जरुरत पड़ी थी. इनमें से 2 प्रतिशत को कोरोना से रिकवर होने के बाद भी सांस फूलने, ब्रेन फॉगिंग या दूसरी छोटी-बड़ी दिक्कतें बनी रही थी. इसके साथ ही इन युवाओं में से 10 प्रतिशत ऐसे थे जिनके परिवार में पहले भी किसी की अचानक मौत हो चुकी थी.
ICMR की रिसर्च के अनुसार मृतकों में 27 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो सिगरेट पीते थे वहीं 27 प्रतिशत लोग शराब पीते थे.जानकारी के अनुसार मृतकों में से 677 लोग ऐसे भी थे जिन्होंने मौत से 48 घंटे पहले 6 या उससे ज्यादा ड्रिंक्स ली थी. वहीं 18% यानी 692 लोग ऐसे थे जो मौत से एक साल पहले तक एक्सरसाइज कर रहे थे.