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ISRO की बड़ी सफलता, Spadex मिशन के बाद अब नए साल में होंगे ये बड़े धमके

साल 2025 में इसरो 36 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी में है. इसके साथ ही, रूस और अमेरिका के साथ साझेदारी में अंतरिक्ष यात्री भेजने की रणनीति पर भी काम हो रहा है. इन मिशनों से भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को नई दिशा और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी.  

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Courtesy: Social Media

ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग के साथ ही अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं की झलक पेश की है. इसके बाद इसरो कई बड़े मिशनों पर काम कर रहा है, जो भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. इनमें निसार , शुक्रयान  और चंद्रयान-4 जैसे मिशन शामिल हैं. इसके अलावा, इसरो जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ मिलकर भी एक विशेष मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है.  

साल 2025 में इसरो 36 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी में है. इसके साथ ही, रूस और अमेरिका के साथ साझेदारी में अंतरिक्ष यात्री भेजने की रणनीति पर भी काम हो रहा है. इन मिशनों से भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को नई दिशा और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी.  

निसार मिशन

निसार मिशन (NISAR), जो 2025 की शुरुआत में लॉन्च होगा. इसे नासा और इसरो के सहयोग से विकसित किया गया है. यह सैटेलाइट सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक से लैस है और पर्यावरणीय बदलाव, प्राकृतिक आपदाओं और सीमा सुरक्षा पर नज़र रखने के लिए बनाया गया है. इसकी विशेषताएं की बात करें तो निसार सैटेलाइट 240 किमी चौड़ी पट्टी की उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें खींच सकता है. साथ ही यह 12 दिनों में पूरी पृथ्वी की तस्वीर ले सकेगा. इसका 39 फुट लंबा एंटीना रिफ्लेक्टर इसे उन्नत इमेजिंग क्षमता प्रदान करता है.यह मिशन जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर पिघलने और भूस्खलन की निगरानी के साथ-साथ भारत-पाक और चीन सीमा पर सुरक्षा में भी सहायक होगा.  

चंद्रयान-4

चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से मिट्टी के नमूने धरती पर लाना है. इस मिशन में पांच मॉड्यूल्स है, जिसमें प्रोपल्शन, डिसेंडर, एसेंडर, ट्रांसफर और री-एंट्री शामिल हैं. मॉड्यूल्स को जोड़ने और अलग करने के लिए स्पैडेक्स मिशन की तकनीक का उपयोग किया जाएगा. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.  

लूपेक्स मिशन

लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (लूपेक्स), इसरो और JAXA का संयुक्त प्रयास है. इसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज करना है. इसमें जापानी रॉकेट और भारतीय लैंडर व रोवर का उपयोग. अत्याधुनिक उपकरणों से लैस रोवर चांद की सतह का गहन अध्ययन करेगा. मिल रही जानकारी के मुताबिक मिशन 100 दिनों तक चलने की योजना है.  

शुक्रयान

शुक्रयान मिशन 2028 में लॉन्च होगा. यह शुक्र ग्रह के वायुमंडल, सतह और सूर्य के साथ उसकी अंतःक्रिया का अध्ययन करेगा. हालांकि इस मिशन में कई परेशानियां हो सकती है. शुक्र ग्रह का तापमान 475°C तक पहुंच सकता है. वायुमंडल में जहरीले गैसों और उच्च दबाव की स्थिति में भी काम की छमता से तैयार किया जाएगा.

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