नई दिल्ली : केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों के असहमति नोट को संलग्न किया गया है, इसलिए रिपोर्ट को असंवैधानिक और अवैध कहना उचित नहीं है.
संसदीय कार्य मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे किरेन रीजीजू ने यह भी स्पष्ट किया कि पूरे प्रक्रिया का पालन नियमों के अनुसार किया गया है. उन्होंने बताया, "पिछले छह महीनों में जेपीसी ने बहुत अच्छा काम किया है और हजारों लोगों की सुनवाई की है. कुछ सदस्य राज्यसभा में यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके असहमति नोट को हटा दिया गया है, जबकि यह पूरी रिपोर्ट में शामिल किया गया है."
रीजीजू ने बताया कि अगर असहमति नोट में समिति के कार्यों पर सवाल उठाए गए हैं तो समिति अध्यक्ष को उस विशेष अंश को हटाने का अधिकार है. उन्होंने यह भी कहा कि असहमति नोट को हटाया नहीं गया है और पूरे प्रक्रिया का पालन ठीक तरीके से किया गया है.
रीजीजू ने कहा, "जेपीसी की रिपोर्ट को अवैध और असंवैधानिक कहना गलत है। यह राजग की रिपोर्ट नहीं है, यह पूरी संसद की रिपोर्ट है." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में शामिल किए गए असहमति नोट पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से संसद में पेश किए गए हैं.
केंद्रीय मंत्री ने जेपीसी की रिपोर्ट के बारे में विपक्ष द्वारा किए जा रहे सवालों और आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सभी प्रक्रियाएं उचित तरीके से पूरी की गई हैं और किसी भी सदस्य के असहमति नोट को अवैध तरीके से नहीं हटाया गया.