भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और चुनावी प्रक्रिया का जोरदार बचाव किया. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि लोकतंत्र को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता जताना उचित नहीं है, खासकर तब जब भारत में लोकतंत्र पूरी तरह से जीवित और मजबूत है.
जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा, "अगर कोई यह कहे कि लोकतंत्र वैश्विक संकट में है, तो मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं. हमारे देश में लोकतंत्र जीवंत है, और हम इसे गर्व से जीते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि आजकल 20 प्रतिशत अधिक लोग मतदान करते हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती को दर्शाता है.
VIDEO | Here's what External Affairs Minister S Jaishankar (@DrSJaishankar) said answering a question about whether democracy is in trouble worldwide.
— Press Trust of India (@PTI_News) February 15, 2025
"The mark on my index finger is a mark of a person who just voted. We just had an election in my state. Last year, we had a… pic.twitter.com/OCXHfJkMJ4
जयशंकर ने भारत के चुनावी इतिहास का उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले राष्ट्रीय चुनाव में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में से 70 करोड़ ने मतदान किया. उनका कहना था कि भारत में मतदान प्रक्रिया न केवल सही तरीके से होती है, बल्कि एक ही दिन में वोटों की गिनती भी की जाती है, जो विश्व में एक मिसाल है.
जयशंकर ने लोकतंत्र पर पश्चिमी देशों की दोहरी नीति पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जब हम अपने लोकतंत्र को सही तरीके से चलाते हैं, तो कुछ देश इसे नकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं, जबकि हमारे यहां लोकतंत्र पूरी तरह से मजबूत है. उनका कहना था कि लोकतंत्र ने भारत में परिणाम दिए हैं और हम इसे गर्व से आगे बढ़ाते हैं.
म्यूनिख सम्मेलन में सवाल किया गया कि क्या लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है, तो विदेश मंत्री ने इसका जवाब देते हुए कहा, "मैं इस पैनल में सबसे आशावादी व्यक्ति हूं, जबकि अन्य लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं." उन्होंने यह भी कहा कि उनकी उंगली पर मतदान का निशान है, जो यह दर्शाता है कि वह स्वयं लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं.
डॉ. एस जयशंकर का यह बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर कोई आंच नहीं आ सकती। उनका मानना है कि लोकतंत्र ने भारत में न केवल स्थिरता प्रदान की है, बल्कि देश के नागरिकों की आवाज को भी ताकतवर बनाया है।