Jalandhar: बैंड-बाजों के साथ सोढल मेले में श्रद्धालुओं की भीड़, माथा टेकते दिखे आस्था के पुजारी

Jalandhar: पंजाब के जालंधर के सुप्रसिद्ध सिद्ध बाबा सोढल मेले का आगाज हो चुका है. वहीं मेले में श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें देखने को मिल रही है, साथ ही माथा टेकने वालों की कतार उमड़ पड़ी है. इसके साथ ही मेले में आस्था का सैलाब बहने लगा, ऐसा कहा जाता है कि, इस जगह पर […]

Date Updated
फॉलो करें:

Jalandhar: पंजाब के जालंधर के सुप्रसिद्ध सिद्ध बाबा सोढल मेले का आगाज हो चुका है. वहीं मेले में श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें देखने को मिल रही है, साथ ही माथा टेकने वालों की कतार उमड़ पड़ी है. इसके साथ ही मेले में आस्था का सैलाब बहने लगा, ऐसा कहा जाता है कि, इस जगह पर सारी मन्नतें पूरी पूरी होती है. लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर बैंड-बाजे के साथ मुख्य मंदिर परिसर में पहुंच कर माथा टेकते हैं. इतना ही नहीं अपने साथ दूध भी लेकर जाते हैं, और वहां उपस्थित तालाब में नाग की प्रतिमा पर चढ़ाते हैं.

सजती हैं दुकानें

जालंधर में लगने वाला ये मेला आस्था का ही नहीं, किन्तु खरीददारी के लिए भी माना जाता है. मेले के दरमियान कई सारी दुकानें सजती है. घर के बर्तनों से लेकर जरूरत का हर सामान मेले में आसानी से मिल जाता है. इस मेले में महिलाएं खास करके जाती हैं, और तरह-तरह के घर का सामान खरीद कर लाती हैं. इसके साथ ही बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगाए गए हैं.

औलाद सुख की प्राप्ती

आपको बता दें कि पुरानी परंपरा रही है कि इस मेले में श्री सिद्ध बाबा सोढल के मंदिर में बेऔलाद को औलाद का सुख मिल जाता है. जबकि मन्नत पूरी हो जाने के बाद लोग मेले में ढोल-बाजों के साथ नाचते-झूमते बच्चों को अपने साथ लेकर मेले में पहुंचते हैं. वहीं अपने बच्चों की हाजिरी बाबा के दरबार में लगवाते हैं, और खुशी-खुशी घर जाते हैं.

बाबा की क्या है कहानी?

पौराणिक कथा में बताया गया है कि, जिस स्थान पर बाबा सोढल का मंदिर स्थापित है, वहां पर एक तालाब हुआ करता था. इसी के पास मुनि तपस्या किया करते थे. बाबा सोढल की माता यहां पर मुनि की सेवा में दिन- रात लगी रहती थी. एक दिन मुनि ने भगवान विष्णु जी की आराधना कर खुश होकर माता को आशीर्वाद दिया कि उनके घर बेटे का जन्म होगा, किन्तु शर्त रखी कि, वह कभी उसके ऊपर गुस्सा नहीं करेगी. परन्तु मुनी की बात न मानकर एक दिन मां को उन पर गुस्सा आ गया, जब बाबा सोढल 5 साल के थे. तब बाबा तालाब में आलोप हो गए थे. मां तालाब में बाबा के आलोप होने पर रोने लगी तो उन्होंने शेषनाग के रूप में दर्शन दिए. वहीं उन्होंने कहा कि, वो हमेशा इस तालाब में ही रहेंगे. इतना ही नहीं जो भी इस तालाब के किनारे औलाद सुख की प्राप्ती की मन्नत मांगेगा उसकी प्रार्थना पूरी होगी.

Subscribe to Our YouTube Channel!

Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!