Jayshankar Singh: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर एक बार फिर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हर बार भारत को बातचीत की टेबल पर लाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेता रहा है. पाकिस्तान की मुख्य नीति आतंकवाद ही है. लेकिन अब भारत ने पाकिस्तान की इस आतंक की नीति को ठुकरा दिया है और ये साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की आतंक की शर्तों पर भारत कोई भी बात नहीं करेगा.
एक मीडिया एजेंसी को दिये इंटरव्यू के दौरान विदेश मंत्री ने पाकिस्तान, कनाडा और चीन समेत सभी मुद्दों पर खुल कर बात की.
“My mind games are working…” Jaishankar’s big 2024 interview on Bharat and Bharat’s Foreign Policy#Jaishankar #SJaishankar #MEA
— ANI (@ANI) January 2, 2024
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एक समाचार एजेंसी को दिये साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने कहा कि 'पाकिस्तान लंबे समय से सीमा पार से आतंकवाद का इस्तेमाल भारत पर बातचीत के लिए दबाव बनाने के लिए कर रहा है. ऐसा नहीं है कि हम अपने पड़ोसी के साथ बातचीत नहीं करेंगे. मगर हम उन शर्तों के आधार पर बातचीत नहीं करेंगे जो उन्होंने (पाकिस्तान) रखी हैं, जिसमें बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद की प्रथा को वैध और प्रभावी माना जाता है.'
खालिस्तानी आतंकवादियों को समर्थन और पनाह देने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा सरकार पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि कनाडा की ओर से दोनों देशों के राजनयिक रिश्तों के बीच खालिस्तानी गतिविधियों में शामिल होने की जगह दी गई है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि खालिस्तान की वजह से दोनों देशों के संबंधों को भी नुकसान पहुँच रहा है.
विदेश मंत्री ने भारत-कनाडा के संबंधों पर जोर देते हुए कहा कि 'मुख्य मुद्दा यह है कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी ताकतों को बहुत जगह दी गई है, और उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की छूट दी गई है जिससे संबंधों को नुकसान पहुंच रहा है. मुझे लगता है कि ये न भारत के हित में हैं और न कनाडा के हित में हैं.'
इंटरव्यू के दौरान जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या भारत चीन के 'माइंड गेम्स' में हार गया है? तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 'मुझे नहीं लगता है कि हम हार गए हैं. लेकिन अलग-अलग समय पर जब हम आज अतीत के हिस्सों की बात करते हैं, तो उन्हें समझना बहुत मुश्किल होता है. पंचशील समझौता एक और ऐसा उदाहरण है.' इसके साथ ही उन्होंने चीन की चालबाज़ियों से निपटने के लिए भारत के दृष्टिकोण में बदलाव की भी बात की.
चीन पर बोलते हुए एस जयशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की चीनी नीतियों की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि भारत को चीन के साथ आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और साझा हितों के आधार पर रिश्ता कायम करने की जरूरत है.