Timeline: चंद्रयान-2 से चंद्रयान-3 का सफर, जानिए इस मिशन में अब तक क्या-क्या हुआ?

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह से सिर्फ 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा है. आज शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की पर लैंडिंग की जाएगी. ये भारत का ऐसा मिशन है जिसके लिए इसरो ने सालों मेहनत की है. मिशन चंद्रयान-3 अगर कामयाब हुआ तो चांद के […]

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Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह से सिर्फ 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा है. आज शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की पर लैंडिंग की जाएगी. ये भारत का ऐसा मिशन है जिसके लिए इसरो ने सालों मेहनत की है. मिशन चंद्रयान-3 अगर कामयाब हुआ तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाब लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन जाएगा. 

चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है मिशन चंद्रयान-3

मिशन चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया है. इसके पहले मिशन चंद्रयान-2 सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश तो कर गया था लेकिन आखिरी वक्त में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश में कामयाब नहीं हो पाया था. इसके बाद अब मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया है.

22 जुलाई 2019 को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2

चंद्रयान-1 के बाद चंद्रमा पर खोजबीन करने के मकसद से इसरो ने चंद्रयान-2 मिशन की शुरूआत की. जिसे 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से 02: 43 बजे लॉन्च किया गया था. 

8 सितंबर 2019 को इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑर्बिटर द्वारा लिए गए ऊष्माचित्र से विक्रम लैंडर का पता चल गया है. परंतु अभी चंद्रयान-2 से कोई राब्ता नहीं हो पाया है.

मिशन चंद्रयान-3 की शुरूआत

6 जुलाई: इसरो ने मिशन चंद्रयान-3 की लान्चिंग की तारीख का ऐलान किया. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा.

11 जुलाई: इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर उतारने का पूर्वाभ्यास किया. इसरो ने एक ट्वीट में बताया कि ”लॉन्च की पूरी तैयारी और प्रक्रिया का डमी रूप में 24 घंटे का पूर्वाभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.”

14 जुलाई: भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ को लॉन्च किया गया. मिशन को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया.

15 जुलाई: चंद्रयान-3 ने पहली कक्षा पूरी की. मतलब उसकी पहली कक्षा बदली. अंतरिक्ष यान 41762 किमीx 173 किमी की कक्षा में पहुंचा. 

17 जुलाई: भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश किया.

18 जुलाई: चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की तीसरी कक्षा में प्रवेश किया. चंद्रयान-3 पृथ्वी से 51,400 किलोमीटर x228 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था.

20 जुलाई: अंतरिक्ष यान को 71351 किमी x 233 किमी की चौथी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.

25 जुलाई: चंद्रयान-3 के कक्षा बदलने की पांचवीं प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) सफलतापूर्वक पूरी हो गई. 

1 अगस्त: चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से निकालकर सफलतापूर्वक चांद की कक्षा की तरफ रवाना किया गया. इसरो ने कहा कि ‘चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा का चक्कर पूरा कर लिया है और अब यह चांद की तरफ बढ़ रहा है.

5 अगस्त: चंद्रयान-3 164 किमी x 18074 किमी की दूरी पर चंद्र कक्षा में पहुंचा.

6 अगस्त: चंद्रमा के चारों ओर मिशन की कक्षा घटाकर 170 किमी x 4,313 किमी कर दी गई.

9 अगस्त: धीरे-धीरे इसकी गति को घटाते हुए चंद्रमा की अगली कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया जारी रही. दोपहर दो बजे के आसपास इसे तीसरी कक्षा में प्रवेश कराया गया.

14 अगस्त: चंद्रयान-3 को चौथी कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया की गई। इस दिन मिशन 151 x 179 किलोमीटर की कक्षा के गोलाकार चरण पर पहुंच गया.

16 अगस्त: पांचवीं कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी हुई. फायरिंग के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में पहुंच गया.

17 अगस्त: लैंडिंग मॉड्यूल को इसके प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया गया.

18 अगस्त: ‘डीबूस्टिंग’ प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसने इसकी कक्षा को 113 किमी x 157 किमी तक कम कर दिया गया.

20 अगस्त: चंद्रयान-3 ने अपना अंतिम डीबूस्ट ऑपरेशन पूरा किया, जिससे विक्रम लैंडर की कक्षा 25 किमी x 134 किमी तक नीचे आ गई.

23 अगस्त: इसके साथ ही अब चंद्रयान-3 आज शाम को चांद पर लैंड कराया किया जाएगा. इसरो के मुताबिक, ”लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक दो घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम फैसला होगा.” इसरो के वैज्ञानिक नीलेश एम देसाई के मुताबिक, ”अगर चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है.”

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