Kailash Mansarovar Yatra: मानसरोवर की यात्रा को तीर्थ स्थलों में गिना जाता है. इस यात्रा को पिछले पांच सालों से रोक दिया गया था. जिसके बाद सोमवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इसे फिर से शुरू किया जा रहा है. अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक कोविड-19 महामारी के बाद एक बार फिर से 30 जून को कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होगी.
मानसरोवर के लिए यह यात्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरेगी. पहले भी इस यात्रा को ऐसे ही आयोजित किया जाता था, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. जिसके बाद एक बार फिर से इस यात्रा को शुरु किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस यात्रा को शुरु करने के लिए काफी मेहनत की. उत्तराखंड सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय के तत्वावधान में यात्रा को लेकर फाइनल बैठक सोमवार को नई दिल्ली में की गई. जिसमें यह फैसला किया गया. इस बैठक के दौरान तीर्थयात्रा के संचालन की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपी गई. यात्रा 30 जून को दिल्ली से शुरू होगी, जिसमें 50-50 लोगों के पांच समूह होंगे, कुल 250 श्रद्धालु हिस्सा लेंगे.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला समूह 10 जुलाई को चीन में इंटर करेगा और अंतिम समूह 22 अगस्त को चीन से भारत में वापसी के लिए निकलेगा. बयान में पूरे रूट के प्लानिंग के बारे में भी बताया गया, जिसमें कहा गया कि प्रत्येक दल दिल्ली से इस यात्रा के लिए निकलेगा. दिल्ली के बाद उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर एक रात के लिए रुकना होगा. उसके बाद पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में एक रात, गुंजी में दो रात और नाभीडांग में दो रातें ठहरने की प्लानिंग है. इसके बाद तकलाकोट में प्रवेश करना होगा. कैलाश के दर्शन के बाद यात्री चीन से रवाना होगा और पिथौरागढ़ जिले के बूंदी में एक रात, चौकोरी में एक रात और अल्मोड़ा में एक रात ठहरने के बाद दिल्ली पहुंचेगा. इस प्रकार प्रत्येक दल कुल 22 दिनों की यात्रा करेगा. इस यात्रा के फिर से शुरु होने की वजह से लोगों में खुशी की लहर है.