Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में बीते दिन यानि 21 दिसंबर को आतंकियों ने भारतीय सेना के दो वाहनों पर हमला कर दिया. मिली जानकारी के अनुसार इस घटना में 5 जवान शहीद हो गए है, वहीं दो जवान के घायल होने की खबर मिल रही है.
इस घटना को लेकर अधिकारियों का कहना है कि, शहीद हुए दो जवानों के शव पूरी तरह से छल्ली हालत में मिले हैं. सेना के सुरक्षाबलों ने इस घटना के बाद आस-पास के क्षेत्रों को कब्जे में लेकर सर्च ऑपरेशन करना शुरू कर दिया है. दरअसल इस हमले की जवाबदेही पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) ने ली है, जबकि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा बताई जा रही है.
मिली रिपोर्ट के मुताबिक बीते दिन सुरक्षाबलों के जवान दो वाहनों से पुंछ के सुरनकोट की तरफ जा रहे थे. क्योंकि उनकी प्लानिंग आतंकियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन चलाने की थी. मगर लगभग शाम 5 जबकर 45 मिनट पर ढेरा की गली एवं बुफलियाज के मध्य धत्यार मोड़ पर पहले से छिप कर बैठे आतंकवादियों ने एक ट्रक और एक जिप्सी पर अचानक से हमला कर दिया.
इसके जवाब में सुरक्षाबलों ने भी अपने तरफ से हमला किया, इसी बीच पांच जवान ने अपनी जान गवां दी और अन्य घायल हो गए. दरअसल फौज के वरिष्ठ अधिकारियों ने आतंकियों और जवानों के बीच आमने-सामने की लड़ाई की पुष्टी की है. आगे अधिकारियों ने बताया कि, ऐसी संभावना है कि जिन सैनिकों पर हमला किया गया है उनके हथियार तक आतंकवादियों ने ले लिए है.
इस आतंकी हमवले की कुछ तस्वीरों और वीडियो सामने आए हैं. जिसमें देखा जा रहा है कि, सड़क पर पड़ा खून, सैनिकों के टूटे हुए हेलमेट के साथ सेना के दो वाहनों के टूटे हुए शीशे देखने के मिल रहे हैं. इतना ही नहीं हमले वाली जगहों पर दो जवानों के शव मिले हैं.
मिली सूचना अनुसार आतंकी संगठन PAFF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. PAFF के बारे में बताएं तो साल 2019 में आर्टिकल 370 हटने के उपरांत यह चर्चा में आया था. जिसके आधार पर जम्मू कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया है. इसी साल जनवरी माह में गृह मंत्रालय ने PAFF पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था.
बता दें कि, PAFF द रेसिस्टेंस फ्रंट, गजनवी फोर्स, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जैसे नए आतंकी संगठनों में से एक बताया जाता है. जिसे कुछ सालों में उभरता हुआ देखा गया है, इन आतंकी संगठनों ने हमलों के लिए नई रणनीति तैयार की है. इनके बारे में बताया जाता है कि, ये छोटे-छोटे गुटों में रहते और हमला करते हैं.
इसके बावजूद PAFF समेत ये संगठन ऐसे स्थानीय युवाओं को अपनी लिस्ट में भर्ती करते हैं, जिनका कोई क्रिमनल बैकग्राउंड नहीं है. इन्हें Hybrid आतंकी का नाम दिया गया है, क्योंकि ये छिपकर हमला करते हैं. दरअसल हैरानी वाली बात ये है कि, हमले के बाद ये आम जीवन जीना शुरू कर देते हैं. इस हालात में सुरक्षाबलों के लिए ऐसे आतंकियों को पकड़ पाना बहुत मुश्किल होता है.