Indian Army Day 2024: 15 जनवरी 1949 को जनरल के.एम. करिअप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय प्रमुख बने थे. उनके सम्मान में भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाती है. इस मौके पर आइए जानते हैं भारतीय सेना के उन हाईटेक हथियारों के बारे में, जो इसकी ताकत और हर मोर्चे पर विजय का प्रतीक हैं.
भारतीय सेना को 1949 में पहली बार अपना भारतीय प्रमुख मिला था। आज़ादी के बाद भी सेना की कमान एक ब्रिटिश अधिकारी के हाथ में थी. 15 जनवरी 1949 को जनरल केएम करिअप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय प्रमुख बने, और उनकी याद में भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाती है. इस खास मौके पर आइए जानें भारतीय सेना के उन अत्याधुनिक हथियारों के बारे में, जो उसकी ताकत और वीरता के प्रतीक बने हैं.
भारतीय सेना के पास टैंकों का एक विशाल बेड़ा है, जिसमें सबसे प्रमुख है टी-90 भीष्म टैंक. यह टैंक 2001 में सेना में शामिल किया गया था और दुश्मन की एंटी टैंक मिसाइलों तक को निष्क्रिय करने में सक्षम है. 125 एमएम की गन से लैस, इन टैंकों में ऑटोमेटिक फायर प्रोटेक्शन सिस्टम भी है, जो रॉकेट, मिसाइल, ग्रेनेड और आरपीजी जैसे विस्फोटक को निष्क्रिय कर देता है। इसमें धुंआ उत्पन्न करने वाला ग्रेनेड लांचिंग सिस्टम है, जो दुश्मन के लेजर द्वारा टैंक पर निशाना साधने की कोशिश को विफल कर देता है.
भारतीय सेना के पास 2000 से अधिक टी-90 भीष्म टैंक हैं। यह टैंक सामान्य रास्तों पर 60 किलोमीटर प्रति घंटा और ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकता है.
कुछ साल पहले तक भारत रूस से बीएमपी-2 टैंक खरीदता था, लेकिन अब इसे खुद ही बनाया जा रहा है. 30 एमएम की मशीनगन से लैस यह टैंक 360 डिग्री घूमकर दुश्मन पर हर दिशा से हमला करने में सक्षम है. इसका वजन केवल 14,000 किलो है, जिससे इसे पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से ले जाया जा सकता है. इसके अलावा, भारतीय सेना के पास टी-72 टैंक भी हैं, जो युद्ध में अहम भूमिका निभा चुके हैं. भारतीय सेना के पास 2400 से ज्यादा टी-72 टैंक मौजूद हैं, जिनका वजन 41,000 किलो है और ये तीन जवानों को बैठाने की क्षमता रखते हैं.
भारतीय सेना के लिए Combat Vehicle Research & Development Establishment (CVRDE) ने अर्जुन टैंक विकसित किया है, जिसे महान धनुर्धर अर्जुन के नाम पर रखा गया है.यह तीसरी पीढ़ी का बैटल टैंक है, जिसमें 120 एमएम की तोप है और चार लोगों के बैठने की क्षमता है. अब तक इसके कई वर्ज़न भी सामने आ चुके हैं.
भारत ने हल्के टैंक बनाने में अहम सफलता हासिल की है, जिसे जोरावर नाम दिया गया है। इसे साल 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है. यह टैंक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के संयुक्त प्रयास से विकसित किया गया है. इसका वजन मात्र 25 टन है और पूरी तरह से बख्तरबंद होने के बावजूद यह दुर्गम रास्तों पर आसानी से चल सकता है. इसकी हल्की बनावट के कारण इसे प्लेन के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी आसानी से पहुंचाया जा सकता है.
भारतीय सेना के लिए एक और हाईटेक टैंक फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) की तैयारी हो रही है. इसके लिए 45 हजार करोड़ रुपये से 1,770 एफआरसीवी खरीदने की मंजूरी मिल चुकी है. ये अत्याधुनिक टैंक कई हथियार प्लेटफॉर्म के रूप में काम करने में सक्षम हैं और पुराने टी-72 टैंकों की जगह लेंगे.
भारतीय सेना में बोफोर्स तोप का प्रमुख स्थान है, जो 155 एमएम की क्षमता के साथ 30 किमी दूर तक दुश्मन के ठिकानों को आसानी से नष्ट कर देती है. 1999 में पाकिस्तान से हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की विजय में बोफोर्स का अहम योगदान था. इसके अलावा, भारतीय सेना के पास होवित्जर तोपें भी हैं, जिनका इस्तेमाल अन्य देशों जैसे आर्मेनिया में भी किया गया है, और ये अब भारतीय सेना का हिस्सा बन चुकी हैं.
इन स्वदेशी तोपों को डीआरडीओ, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और भारत फोर्ज लिमिटेड ने मिलकर विकसित किया है. इनमें से 155 एमएम की 52 कैलिबर वाली होवित्जर अब भारतीय सेना की ताकत को और मजबूत कर रही है.
चीन और पाकिस्तान की घुसपैठ को रोकने और आतंकवादियों पर नज़र रखने के लिए भारतीय सेना ने एक नये और अत्याधुनिक हथियार को शामिल किया है – ब्लैक हॉरनेट नैनो ड्रोन. यह केवल 33 ग्राम वजन वाला ड्रोन आकार में इतना छोटा है कि इसे हथेली में समेटा जा सकता है और देखने में यह खिलौने जैसा लगता है.
इस ड्रोन में दो कैमरे लगे हैं, जो बिना आवाज के दुश्मन की गतिविधियों की जानकारी प्रदान करते हैं. भारतीय सेना का मानना है कि ब्लैक हॉरनेट की मदद से आतंकवादियों को उनके छिपे ठिकानों में आसानी से खोजा जा सकेगा.