Lara and Akamas: दो साइबेरियन टाइगर्स को 10 दिसंबर को साइप्रस से पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग लाया गया है. साइप्रस के पेफोज जू से लाये गए इन टाइगर्स को दार्जिलिंग के पदमजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क में रखा गया है. इन साइबेरियन टाइगर्स का नाम लारा और अकामस है. साइबेरियन टाइगर्स ठंडे जगह में रहते हैं. इसलिए साल 2007 से इन्हे हिमालयन जूलॉजिकल पार्क में ही रखा जाता है. क्योकि ये भारत में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है. 9 अप्रैल को प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे हो गए. देश में टाइगरों की संख्या बढ़ने और उनका ख्याल रखने के लिए ये प्रोजेक्ट शुरू किया गया था.
लारा और अकामस स्वस्थ हैं और फ़िलहाल उन्हें अलग रखा गया है
साइबेरियन टाइगर्स को दार्जिलिंग के पदमजा हिमालयन जूलॉजिकल पार्क में रखा गया है. यहाँ के निदेशक बसवराज होलियाची ने बताया कि दोनों टाइगर स्वस्थ्य हैं और उन्हें फिलहाल अलग रखा गया है. एक महीने बाद उन्हें पब्लिक को देखने के लिए शिफ्ट कर दिया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लारा और अकामस को एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत लाया गया. इनके बदले में भारत से दो लाल पांडा भी साइप्रस के पेफोस चिड़ियाघर भेजे गए हैं.
25 घंटे की लम्बी यात्रा के बाद भारत पहुंचे लारा और अकामस
भारत लाये गए दोनों साइप्रस टाइगर्स को साइप्रस से दार्जिलिंग तक लाने में 25 घंटों का समय लगा है. शनिवार को रात 10.15 बजे इनकी 25 घंटों की यात्रा शुरू हुई थी. मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को शाम 7.20 पर वह साइप्रस के लरनाका एयरपोर्ट से सुबह 1.20 बजे दुबई पहुंचे और फिर यहां से अगले दिन दोपहर 1.14 बजे भारत के लिए रवाना हुए. शनिवार शाम को 6.52 पर वह कोलकाता पहुंच गए. दार्जिलिंग पहुंचने के लिए दोनों टाइगर्स को हवाई जहाज और रोड के जरिये लाया गया. जिन पिंजरों में इन्हें लाया गया है, उन्हें एक कंटेनर में रखा गया था. ये कंटेनर चारों ओर से पैक थे. कंटेनर में एक दो जगह छेद किए गए थे ताकि उन्हें सांस लेने में दिक्कत न हो.
क्या खासियत है साइबेरियन टाइगर्स की
साइबेरिया के ठंडे इलाकों में पाए जाने वाले ये टाइगर्स के शरीर पर हल्के सुनहरे रंग की मोटी लाइनें होती हैं. कुछ में ये लाल या भूरे रंग की भी देखी जा सकती हैं. साइबेरियन टाइगर्स खतरनाक शिकारी होते हैं. ये गर्मियों के दिनों में हर 7 दिन में एक शिकार करते हैं. वहीं, सर्दियों में इनकी भूख बढ़ जाती है और हर 5 दिन में शिकार करने लगते हैं. अपने लम्बे नुकीले दन्त और पंजे से ये टाइगर्स बड़े जानवर जैसे हिरण, खरगोश और भालुओं का शिकार करते हैं.