Stubble Burning in Punjab: दो महीने में पहली बार इस दिन पंजाब में नहीं जली एक भी पराली, जानें क्या रहा प्रदूषण का स्तर

Stubble Burning in Punjab: पंजाब में बीते दो महीने में सोमवार यानी 27 नवंबर को पहली बार एक भी पराली नहीं जलने की घटना दर्ज़ की गयी.

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Stubble Burning in Punjab: पंजाब के किसानों द्वारा पराली जलाना वातावरण के लिए एक बड़ी समस्या बन के उभरा है. दिल्ली-एनसीआर से सटे इलाकों में प्रदूषण की एक बड़ी वजह है पंजाब और हरियाणा के किसानों को द्वारा जलाई गयी पराली. हालाँकि सरकार लगातार पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए काम कर रही है.  जिसका असर हमें  सोमवार को पंजाब में देखने को मिला. पंजाब में बीते 2 महीने में पहली बार एक भी पराली नहीं जलाई गयी है.

इस साल पिछले साल से 27 प्रतिशत कम जलाई गयी पराली  

पंजाब में पराली जलाने पर रोक लगाने पर सरकार की मेहनत शायद अब धीरे-धीरे रंग ला रही है. दरअसल इस साल पिछले साल की तुलना में पंजाब में 27 प्रतिशत कम पराली जलाई गयी है. पिछले साल की बात करें तो पंजाब में 49,992 पराली जलाने की घटना दर्ज की गयी थी. वही अगर इस साल की बात करें तो इस साल अब तक पंजाब में 36,614 पराली जलाने की घटना सामने आयी है. जबकि साल 2021 में 71,304 पराली जलाई गयी थी. 
बता दें कि इस साल पंजाब के पठानकोट में सबसे कम पराली जलाने का मामला सामने आया है. पठानकोट में इस साल सिर्फ चार पराली जलाने की घटना दर्ज़ की गयी है. 

पंजाब में AQI रहा "बहुत ख़राब"

27 नवंबर को पंजाब में एक भी पराली नहीं जलाने के बीच यहाँ की वायु गुणवत्ता सूचकांक ख़राब श्रेणी में दर्ज़ किया गया. बता दें कि सुबह नौ बजे स्वर्ण मंदिर के क्षेत्र में वायु गुणवत्ता 156 दर्ज़ किया गया. वहीं जालंधर में 155, लुधियाना में 173 और बठिंडा में 179 वायु गुणवत्ता दर्ज़ की गयी.

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी चेतावनी 

पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार भी लगायी थी. कोर्ट ने कहा था कि आपने जो किसानों पर जुर्माना लगाया है, उसे वसूला गया है या है. इसके साथ ही कोर्ट ने किसानों से पराली न जलाने की अपील करते हुए कहा था कि "आप पराली नहीं बल्कि पर्यावरण जला रहें हैं और इसके लिए सिर्फ एक माचिस की तीली लगती है"