Madras High Court: मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, रेप पीड़िता का 'two finger test' करने पर डॉक्टर होंगे गुनेहगार

Madras High Court: देश की सुप्रीम कोर्ट पहले से ही 'टू फिंगर टेस्ट' की जांच पर प्रतिबंध लगा चुकी है. 

Date Updated
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हाइलाइट्स

  • कोर्ट ने डॉक्टरों को भी कड़े शब्दों में निर्देश दे दी है.
  • बलात्कार की पीड़िताओं का 'टू फिंगर टेस्ट' है पूरी तरह गैरकानूनी

Madras High Court: मिली सूचना के मुताबिक मद्रास हाईकोर्ट ने बलात्कार की पीड़िताओं का 'टू फिंगर टेस्ट' करने पर कड़ी चेतावनी दी है. दरअसल कोर्ट ने बताया है कि, इस तरह की जांच करने पर डॉक्टर भी दोषी माने जाएंगे. अदालत ने इस तरह के एक मामले की सुनवाई करते हुए कड़ी निंदा की है. वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि देश की सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस जांच पर प्रतिबंध लगा चुकी है. 

कोर्ट का बयान 

दरअसल अदालत का कहना है कि, हमें इस बात का दुख है कि, टू फिंगर टेस्ट इस मामले में किया गया है, वहीं माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस के कई मामलों में लगातार बताया है कि, यह टेस्ट पता करने के लिए स्वीकार्य नहीं है, कि पीड़िता के साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स हुआ है या नहीं. इतना ही नहीं सुनवाई के दरमियान कोर्ट ने डॉक्टरों को भी कड़े शब्दों में निर्देश दिए है. उन्होंने कहा है कि, हम इस अवसर पर डॉक्टरों को याद दिलाना चाहते हैं कि, अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत इस प्रकार के टेस्च किए जाते हैं, तो उन्हें गैरकानूनी काम करने का दोषी माना जाएगा. 

सुप्राम कोर्ट का निर्णय 

वर्ष 2022 के अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने रेप करने के मामले में टू फिंगर टेस्ट पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी. इतना ही नहीं ऐसा करने वालों को चेतावनी दी थी. कोर्ट का कहना था कि इस प्रकार के जांच का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता है. बल्कि इससे महिला को तकलीफों से गुजरना पड़ता है. इतना ही नहीं अदालत ने स्वास्थय मंत्रालय को भी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश दिए थे. साथ ही कहा था कि यौन हिंसा एवं बलात्कार की पीड़िताओं का टू फिंगर टेस्ट नहीं किया जाए. साथ ही मद्रास की हाईकोर्ट ने साल 2022 में ही टू फिंगर टेस्ट करने पर प्रतिबंध लगाया था. वहीं वर्तमान उच्च न्यायालय ने कहा था कि, इस प्रकार के जांच रेप पीड़िताओं की निजता, शारीरिक व मानसिक अखंडता एवं गरिमा के अधिकार का पूरी तरह से उल्लंघन करती है.