Major Ashish Dhaunchak Funeral: भारत मां का एक वीर सपूत हमविदा हो गया. उनके परिवार के साथ-साथ पूरा देश आज गमगीन है और उदास है. 36 साल के मेजर आशीष धौंचक आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. उनकी मां ने उनकी बहादुरी को सैल्यूट किया और उन्हें उनके चचेरे भाई मेजर विकास ने मुखाग्नि दी. इससे पहले सिख रेजीमेंट के जवानों ने उन्हें गन सैल्यूट दिया. मेजर आशीष का अंतिम संस्कार उनके गांव बिंझौल में किया गया. मेजर के पार्थिव शरीर को पहले पानीपत के आवास पर लाया गया है. जहां अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा. इस दौरान हर किसी की आंखें नम थीं.
राजकीय सम्मान के साथ दिया गया अंतिम विदाई-
सेना के जवान और परिवार वाले मेजर के पार्थिव शरीर को लेकर गांव बिंझौल पहुंचे जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. मेजर की अंतिम यात्रा को पानीपत शहर के बीच बाजार से निकाला गया ताकि सभी लोग मेजर आशीष अंतिम दर्शन कर सके और उन्हें अंतिम विदाई दे सकें. गांव के युवा मोटरसाइकिलों के जत्थे के साथ पार्थिव शरीर के आगे जुलूस के रूप में चले. इसके अलावा गलियों में तिरंगा भी लगाए गए लोग भारत माता की जय के नारे भी लगा रहे थे. अलग-अलग जगहों पर फूलों की बारिश भी की गई. अंतिम विदाई में शामिल होने के लिए उनके पैतृक गांव बिंझौल के श्मशान घाट पर लोगों की इतनी भीड़ जुट गई कि वहां खड़े होने तक की जगह नहीं बची थी लोग पेड़ों और छतों पर चढ़कर वीर सपूत को अंतिम विदाई दे रहे थे तो कोई श्मशान घाट में बने कमरे की छत पर चढ़कर उनकी बहादुरी को नमन कर रहे थे.
आपको बता दें कि, मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स की सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे. उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 15 अगस्त को सेना मेडल से सम्मानित किया था. मेजर आशीष की 2 साल की एक बेटी है, उनकी पत्नी ज्योति गृहिणी हैं. मेजर आशीष की शादी 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से हुई थी. 4 महीने पहले 2 मई को आशीष अर्बन एस्टेट में रहने वाले साले विपुल की शादी में छुट्टी लेकर घर आए थे. यहां वे 10 दिन रहे और इसके बाद वह ड्यूटी पर लौट गए. उनका परिवार पहले पैतृक गांव बिंझौल में ही रहता था.
Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!