मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में भारत की यात्रा पर आएंगे. इस यात्रा को भारत और मालदीव के बीच संबंधों को फिर से सुधारने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. मुइज्जू नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत का दौरा करेंगे. उनकी सरकार ने 'इंडिया आउट' अभियान के तहत भारत पर निर्भरता कम करने और कुछ भारतीय सैन्य कर्मियों को हटाने की मांग की थी, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आई थी.
मालदीव में राष्ट्रपति मुइज्जू की सरकार को चीन समर्थक माना जाता है. उनकी सरकार ने 2019 में भारत के साथ किए गए एक समझौते को रद्द कर दिया था, जिसमें संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण की योजना थी. इसके बाद, मालदीव ने चीन और तुर्की के साथ रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया.
हालांकि, हाल के महीनों में संबंधों में कुछ सुधार के संकेत मिले हैं. भारत ने मालदीव में मानवीय मिशनों के लिए तैनात हेलीकॉप्टर और विमानों का संचालन कर रहे सैन्य कर्मियों को नागरिक विशेषज्ञों से बदल दिया. इसके बाद मुइज्जू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया था.
मुइज्जू 7 से 9 अक्टूबर तक भारत की यात्रा करेंगे. इस दौरान उनकी मुलाकात 8 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भारतीय नेताओं से होगी. यह मुइज्जू की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी, जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा है. अगस्त में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव का दौरा किया था, जहां दोनों देशों ने यूपीआई (Unified Payments Interface) प्रणाली को मालदीव में लागू करने और भारतीय अनुदान एवं ऋण से बनाए गए कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इस दौरान मुइज्जू ने भारत को मालदीव का 'सबसे करीबी सहयोगी और अनमोल साथी' बताया.
भारत ने भी मालदीव को आर्थिक मदद देकर संकट से उबरने में सहायता की है. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मालदीव सरकार के ट्रेजरी बिल्स को एक साल के लिए बढ़ा दिया, जिससे मालदीव इस्लामिक बॉन्ड भुगतान में डिफॉल्ट से बच गया.
मुम्बई मे रहने वाले सुरक्षा विशेषज्ञ समीर पाटिल के अनुसार, मुइज्जू ने हाल के महीनों में भारत के प्रति एक व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है. पाटिल ने कहा, 'शुरुआती भारत विरोधी भावनाओं के बाद, मुइज्जू प्रशासन ने भारत के प्रति सुलह करने का रुख अपनाया है, जैसा कि मोदी के शपथ ग्रहण में उनकी भागीदारी और आगामी भारत यात्रा से स्पष्ट है.' मुइज्जू का भारत दौरा इस बात का संकेत है कि वह केवल चीन पर निर्भर रहने के खतरों को भांप चुके हैं और क्षेत्रीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत के साथ रिश्तों को संतुलित करना जरूरी मानते हैं.