इम्फाल : मणिपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार को मंगलवार की सुबह एक हथियारबंद समूह द्वारा उनके घर से कथित रूप से अगवा कर लिया गया. हालांकि, एक प्रतिबंधित संगठन को ‘‘आत्मसमर्पण करने वाला समूह’’ कहने के लिए माफी मांगने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
पत्रकार याम्बेम लाबा के परिवार के अनुसार, सोमवार को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य की स्थिति पर मीडिया से बातचीत करते हुए लाबा ने कुछ टिप्पणियाँ की थीं, जो संभवतः उनके अपहरण का कारण बनीं.
अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को तड़के लगभग तीन बजे हथियारबंद लोगों का एक समूह इम्फाल पश्चिम जिले के उरीपोक स्थित लाबा के घर पहुंचा और उन्हें अपने साथ ले गया.
कोलकाता के एक प्रमुख अखबार से जुड़े लाबा ने बाद में एक अज्ञात स्थान से कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ संवाददाता सम्मेलन किया. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘‘हाल में मैंने यूएनएलएफ को आत्मसमर्पण करने वाला समूह कहा था। यह मेरी ओर से एक गलती थी और मैं उस बयान को वापस लेता हूं.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैंने यह भी आरोप लगाया था कि कुछ हथियारबंद लोग यूएनएलएफ (पाम्बेई) समूह के सदस्य के रूप में मेरे घर आए थे, जबकि उन्होंने कभी ऐसा नहीं कहा. इस आरोप के लिए भी मैं माफी मांगता हूं और अपनी गलती स्वीकार करता हूं.’’
यूएनएलएफ (पाम्बेई) के नेतृत्व में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ-पी) इंफाल घाटी में एक सशस्त्र समूह है, जिसने 29 नवंबर 2023 को सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौता किया और हिंसा छोड़ने पर सहमति जताई थी.
लाबा के परिवार ने बताया कि कुछ घंटे बाद, लाबा मणिपुर की राजधानी इंफाल के एक पुलिस थाने में पेश होकर अपने घर लौट आए. उनके बड़े भाई याम्बेम अंगम्बा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कल मीडिया से बातचीत के दौरान लाबा ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मौजूदा राजनीतिक संकट के बारे में बात की थी. उन्होंने मुख्यमंत्री पद के दावेदारों के बारे में भी चर्चा की थी.’’
मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. लाबा का अपहरण राज्य में चल रही राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल को लेकर बढ़ते तनाव का प्रतीक है.