Mehbooba Mufti House Arrest: जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने से पहले महबूबा मुफ़्ती के हाउस अरेस्ट से पुलिस ने किया इंकार

Mehbooba Mufti House Arrest: सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 पर फैसले से पहले महबूबा मुफ़्ती के हाउस अरेस्ट के दावे से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने किया इंकार. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हुई.

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हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने को सही ठहराया
  • महबूबा मुफ़्ती को नजरबन्द किये जाने के दावों को उपराज्यपाल ने बताया बेबुनियाद

Article 370 Verdict: आज यानि 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर फैसले को चुनौती वाले याचिका पर फैसला आ चूका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना संवैधानिक रूप से वैध है.  सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि केंद्र सरकार की तरफ से उठाया गया फैसला बिल्कुल ठीक था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नए परिसीमन के आधार पर जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द चुनाव करवाएं जाएं. इसके अलावा उच्चतम न्यायालय  ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाए. 

इस फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी. हालंकि इस बीच महबूबा मुफ़्ती की पार्टी पीडीपी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की वापसी का समर्थन करने वाली महबूबा मुफ़्ती को उनके घर में नजर बंद कर दिया गया है. पीडीपी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म x पर लिखा कि "सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के घर को सील कर दिया है और उन्हें गैरकानूनी तरीके से हाउस अरेस्ट रखा गया है".  जबकि  जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पीडीपी नेताओं के इस दावे को खारिज कर दिया है. 

किसी को नजर बंद नहीं किया गया है- जम्मू-कश्मीर पुलिस 

महबूबा मुफ़्ती को हाउस अरेस्ट करने के पीडीपी के दावे से जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इंकार कर दिया है. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के  उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इन दावों को बेबुनियाद बताया है. पुलिस ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को नजरबन्द नहीं किया गया है. राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इन दावों को आधारहीन बताते हुए कहा कि किसी को भी राजनितिक कारणों से नजरबन्द नहीं किया गया है. ये सिर्फ अफवाह फैला कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले श्रीनगर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. साथ ही कश्मीर के संवेदनशील जगहों पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. इसके लिए अर्धसैनिक बालों के साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस गश्त कर रही है. 

2019 में केंद्र सरकार ने खत्म किया था विशेषाधिकार 

आर्टिकल 370 और 35 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष अधिकारों को केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था. इसके लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आयी थी. जम्मू कश्मीर के नेताओं ने इसका भारी विरोध किया था. फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती समेत अन्य ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

सुप्रीम कोर्ट में 370 हटाने का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 1957 के बाद बिना विधानसभा की मंजूरी के अनुच्छेद 370 को हटाया नहीं जा सकता. हालाँकि इस मामले की सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर अपना फैसला सुना दिया है.

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