'मोदी के मुख्यमंत्री रहते गुजरात में मंत्रियों ने करोड़ों का किया घोटाला'

Gujarat News: गुजरात के मुख्यमंत्री रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अधीनस्थ सरकारी बाबुओं के सामने एक नारा पेश किया था, जिसने गुजरात की जनता को खूब लुभाया. यह नारा था 'ना खाता हूँ, ना ही खाने दूंगा'. पर मुख्यमंत्री रहते ही मोदी की नाक के नीचे उनकी ही सरकार के दो मंत्रियों ने 400 करोड़ से अधिक का घोटाला कर दिया था.

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Gujarat News: गुजरात के मुख्यमंत्री रहते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अधीनस्थ सरकारी बाबुओं के सामने एक नारा पेश किया था, जिसने गुजरात की जनता को खूब लुभाया. यह नारा था 'ना खाता हूँ, ना ही खाने दूंगा'. पर मुख्यमंत्री रहते ही मोदी की नाक के नीचे उनकी ही सरकार के दो मंत्रियों ने 400 करोड़ से अधिक का घोटाला कर दिया था. इनमें से एक, पुरुषोत्तम सोलंकी, आज भी मत्स्य उद्योग के कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि दूसरे हैं गुजरात के पूर्व सांसद दिलीप संघानी. 

पुरुषोत्तम सोलंकी को वर्षों से मत्स्य उद्योग का ही प्रभार मिलता रहा है. वर्ष 2004 में राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी कर जलाशयों, नदियों में मछली पकड़ने का ठेका केवल निविदा के माध्यम से देने का निर्णय लिया था. लेकिन साल 2008 में, उस समय के कैबिनेट स्तर के कृषि मंत्री दिलीप संघानी और राज्य स्तर के मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी ने 58 जगहों पर मछली पकड़ने का ठेका उन लोगों को दे दिया, जिन्हें वे अपना मानते थे. इस निर्णय से राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और इस घोटाले की राशि 400 करोड़ रुपये से अधिक थी. 

हाईकोर्ट तक पहुंचा था मामला

पालनपुर के इशाक मराडिया को जब यह घोटाला पता चला, तो उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. टेंडर प्रक्रिया न होने के कारण घोटाले के ठेके रद्द कर दिए गए, लेकिन मंत्रियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. साल 2012 में इशाक मराडिया ने मांग की थी कि दोनों मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जाना चाहिए. हालांकि, राज्य कैबिनेट ने संघानी और सोलंकी के खिलाफ शिकायत और मामला दर्ज नहीं करने का फैसला किया. गुजरात की राज्यपाल कमला बेनीवाल ने कैबिनेट के फैसले को खारिज करते हुए दोनों मंत्रियों के खिलाफ जांच की मंजूरी दे दी और एसीबी ने जांच शुरू कर दी.

साल 2008 में 400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था जिसमें बिना टेंडर जारी किए गुजरात में 58 जगहों पर अवैध तरीके से मछली पकड़ने का ठेका दिया गया था. अब 16 साल बाद, राज्य के तत्कालीन कृषि एवं मत्स्य पालन मंत्री दिलीप संघानी और राज्य मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी के खिलाफ मामला चलेगा. दोनों मंत्री इस मामले से बचने के लिए कई कानूनी दांवपेंच खेल चुके हैं. राज्य सरकार ने उन्हें बचाने के लिए हरसंभव मदद की है, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि सच सामने आ ही गया है.

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