Moon mission: 14 जुलाई को सफलतापूर्वक चांद की यात्रा पर चंद्रयान-3 निकल गया था. वहीं 22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा और 6 अगस्त को इसरो ने चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई. अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के 170 किमी x 4313 किलो मीटर की ऑर्बिट में है. आज यानी 9 अगस्त को दोपहर 1 से 2 बजे के बीच दूसरी बार अपनी कक्षा घटाएगा. इस बीच इसरो चीफ का बड़ा बयान सामने आया है.
इसरो चीफ का बड़ा बयान-
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि, भले ही इसके सभी सेंसर और दोनों इंजन काम न करें सब कुछ बंद हो जाए फिर भी चंद्रयान-3 का लैंडर ‘विक्रम’ 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ करेगा. इसरो अध्यक्ष ने यह भी बताया की लैंडर ‘विक्रम’ का डिजाइन इस तरह से तैयार किया गया है कि यह विफलताओं को भी संभालने में सक्षम होगा.
23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा-
23 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा लेकिन उससे पहले चंद्रयान को कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी है. इस बीच इसरो चीफ का एक बड़ा बयान सामने आया है.इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बताया था कि, चंद्रयान-3 का हालत अभी अच्छी है और इसका सबसे महत्वपूर्ण चरण कक्षा निर्धारण प्रक्रिया होगी. फिलहाल चंद्रयान-3 चंद्रमा की 4,313 किलोमीटर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में मौजूद है और इसे 100 किमी की वृत्ताकार कक्षा में ले जाने के लिए 9 से 17 अगस्त के बीच सिलसिलेवार प्रक्रिया किये जाने की जरूरत है.
CHANDRAYAAN-3 ने चांद से भेजा पहला मैसेज
5 अगस्त को चंद्रयान-3 शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. वहीं उसकी स्पीड कम की गई थी ताकि वह चंद्रमा की ग्रेविटी में कैप्चर हो सके. CHANDRAYAAN-3 मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने जानकारी शेयर की थी. इसरो ने अपने पोस्ट में चंद्रयान-3 का भेजा हुआ मैसेज लिखा था. ‘मैं चंद्रयान-3 हूं. मुझे चांद की ग्रेविटी महसूस हो रही है.’ इसरो ने ये भी बताया था कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है.
चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं. लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन का अध्ययन करेगा, इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं. इसके अलावा यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा.