Mumbai Attack: आज मुंबई मनाएगा आतंकी हमले की 15वीं बरसी, खूनी होली को करेगा याद

Mumbai Attack: आतंकियों ने देश के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक ताज महल होटल को अपना निशाना बनाया था.

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हाइलाइट्स

  • मुंबई की सड़कों पर मौत दौड़ने लगी.  
  • भारतीय नौसेना को धोखा देने के लिए रास्ते में उन्होंने एक भारतीय नाव को अगवा किया

Mumbai Attack:  26 नवंबर वर्ष 2008, इस तारीख को भारत कभी भूलने वाला नहीं है. दरअसल 26 नवंबर 2023 को देश आतंकी हमले की 15वीं बरसी मनाएगा. परन्तु इस दिन को याद करके देशवासी आज भी तड़प उठते हैं. बता दें कि आजाद भारत के इतिहास में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला था. इस हमले के दौरान 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 166 लोग मारे गए थे. साथ ही 300 से अधिक लोग घायल हुए थे. जबकि आतंकियों ने देश के सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक ताज महल होटल को अपना निशाना बनाया था. 

आतंकी हमले की कहनी

यही वो दिन था जब सपनों की नगरी कहे जाने वाले मुंबई में पाकिस्तान से आए दस आतंकियों ने हमला किया था. बता दें कि उस दिन हर कोई अपनी धुन में मस्त था. बाजारों में चहल-पहल का माहौल था. जब लोग खरीददारी कर रहे थे, साथ ही मरीन ड्राइव पर लोग समंदर से आने वाली ठंडी-ठंडी हवाओं का मजा ले रहे थे. तब किसी को अंदाजा नहीं था कि, इसी समंदर के रास्ते मौत आ रही है. जैसे-जैसे रात होने लगी, वैसे-वैसे ही मुंबई की सड़कों पर मौत दौड़ने लगी.  

मुंबई पहुंचे थे आतंकी

पाकिस्तान के कराची से लगभग 10 आतंकी एक नाव की मदद से मुंबई के लिए निकले थे. जबकि समंदर के रास्ते ही उन्होंने मुंबई में एंट्री मारी. वहीं भारतीय नौसेना को धोखा देने के लिए रास्ते में उन्होंने एक भारतीय नाव को अगवा किया और उसपे सवार सभी लोगों को मौत के घाट उतार दिया. जबकि इसी नाव की सहायता से वे रात लगभग 8 बजे कोलाबा के पास मछली बाजार में उतरे. जहां स्थानीय मछुआरों को उनपर शक हुआ. किन्तु जब उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी तो पुलिस ने इस बात को नजरअंदाज किया. 

NSG कमांडो की अहम भूमिका 

आतंकियों ने उस रात को मुंबई की कई नामचीन स्थानों को अपना निशाना बनाया. वहीं मुंबई में स्थित विश्वस्तरीय होटलों में से एक ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल के साथ नरीमन हाउस को टारगेट किया गया. जबकि आतंकियों ने मुंबई की शाह कहे जाने वाले ताज होटल को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. वहीं सुरक्षाबलों व आतंकवादियों के मध्य 3 दिनों तक लगातार मुठभेड़ चलती रही थी. इतना ही नहीं पुलिस व सेना के ऑपरेशन भी फेल होते दिख रहे थे. उस वक्त एनएसजी कमांडोज को इससे लड़ने के लिए बुलाया गया था. जिसके बाद एनएसजी कमांडोज ने सारे आतंकियों को मार गिराया था. दरअसल इनकी ही बहादुरी के कारण भारत पर आया ये बड़ा संकट टला था.