नई दिल्ली : सरकार ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाने के उद्देश्य से प्रस्तावित राष्ट्रीय मुकदमा नीति को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है. यह बयान विधि और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दिया.
मेघवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने मुकदमों की संख्या कम करने के लिए विभिन्न उपायों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिनमें वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) तंत्र को बढ़ावा देना शामिल है. इसके अंतर्गत, विवादों को अदालतों के बाहर सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके.
मंत्री ने बताया कि पिछले साल, जब वे कानून मंत्री बने थे, तब उन्होंने मसौदा नीति पर हस्ताक्षर किए थे और इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास अंतिम निर्णय के लिए भेजने का प्रस्ताव रखा था. हालांकि, अब तक यह नीति अंतिम रूप से लागू नहीं हो पाई है.
राष्ट्रीय मुकदमा नीति के मसौदे पर कई बार विचार-विमर्श किया जा चुका है, क्योंकि विभिन्न सरकारों ने इसे लागू करने के प्रयास किए हैं. संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में तत्कालीन कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने एक राष्ट्रीय मुकदमा नीति तैयार की थी, लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई.
साल 2010 में, 23 जून को एक आधिकारिक बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कानूनी मिशन के तहत भारत की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों को कम करने के लिए एक राष्ट्रीय मुकदमा नीति तैयार की थी, लेकिन यह नीति उस समय तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई.
सरकार का यह बयान यह स्पष्ट करता है कि मुकदमों के समाधान में सुधार के लिए उठाए गए कदमों का उद्देश्य लंबित मामलों की संख्या में कमी लाना है, लेकिन इसके लिए एक ठोस और अंतिम नीति के लिए और भी विचार विमर्श की आवश्यकता है.