गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना की झांकी में दिखेगी युद्धपोत आईएनएस सूरत, नीलगिरि और वागशीर की झलक

नयी दिल्ली: भारतीय नौसेना में हाल में शामिल दो नए युद्धपोतों-आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि तथा पनडुब्बी आईएनएस वागशीर की झलक कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की 76वीं परेड में शामिल झांकियों में दिखाई देगी.

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Courtesy: Social Media

नयी दिल्ली: भारतीय नौसेना में हाल में शामिल दो नए युद्धपोतों-आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि तथा पनडुब्बी आईएनएस वागशीर की झलक कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की 76वीं परेड में शामिल झांकियों में दिखाई देगी.

नौसेना ने बुधवार को कोटा हाउस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में झांकी के मॉडल का अनावरण किया जिसकी टैगलाइन ‘आत्मनिर्भर नौसेना से राष्ट्र निर्माण’ थी.

अधिकारियों ने कहा कि नौसेना की एक मिश्रित मार्चिंग टुकड़ी और एक बैंड भी परेड में शामिल होंगे.

वाइस एडमिरल विनीत मैककार्टी ने कहा कि झांकी में मुंबई में एक सप्ताह पहले ही शामिल तीनों युद्धपोतों को प्रदर्शित किया जाएगा और ये भारतीय नौसैन्य शक्ति तथा आत्मनिर्भरता की भावना को परिलक्षित करेंगे.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 जनवरी को मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना के तीनों अग्रणी युद्धपोतों को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि आज भारत पूरे विश्व और खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है.

आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का शीर्ष जहाज है जो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोतों में महत्वपूर्ण उन्नयन को दर्शाता है.

भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किए गए और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित आईएनएस नीलगिरि में उन्नत विशेषताएं हैं.

यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से परिपूर्ण है तथा एमएच-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है.

परियोजना 15 बी स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढ़ी का सदस्य है.

इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं और यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है.

इसे भी आईएनएस नीलगिरि की तरह वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और एमडीएल में इसका विनिर्माण किया गया है.

आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है. यह बहुभूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है.

तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है और इससे देश की रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बढ़ती दक्षता रेखांकित होती है.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

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