नया इनकम टैक्स बिल लोकसभा में पेश, कार्यवाही 10 मार्च तक स्थगित

नई दिल्ली :  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक (आयकर बिल, 2025) पेश किया, जो छह दशकों पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा. विधेयक को लोकसभा की सेलेक्ट कमिटी को भेजने का प्रस्ताव भी रखा गया है, और यह कमिटी अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट सदन में पेश करेगी. 

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Courtesy: social media

नई दिल्ली :  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में नया आयकर विधेयक (आयकर बिल, 2025) पेश किया, जो छह दशकों पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा. विधेयक को लोकसभा की सेलेक्ट कमिटी को भेजने का प्रस्ताव भी रखा गया है, और यह कमिटी अगले सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट सदन में पेश करेगी. 

विधेयक की प्रमुख बातें

इस नए विधेयक के जरिए आयकर कानून को और अधिक सरल और समझने योग्य बनाने की कोशिश की जाएगी. वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में समय के साथ कई संशोधन हुए, जिससे यह जटिल हो गया. नया विधेयक, जिसमें 536 धाराएं होंगी, यह सुनिश्चित करेगा कि कानून में कोई अस्पष्टता न हो और मुकदमेबाजी में भी कमी आए. इसके अलावा, इस विधेयक में मूल्यांकन वर्ष (AY) की अवधारणा को खत्म कर दिया जाएगा और इसे ‘कर वर्ष’ से बदल दिया जाएगा.

विधेयक पर विरोध

विधेयक पेश होने के बाद तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कुछ विपक्षी सदस्य इसके खिलाफ उठ खड़े हुए. हालांकि, वित्त मंत्री ने विपक्षी आपत्तियों के बावजूद विधेयक को पेश किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसे सदन की प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया.

विधेयक की संरचना

नए आयकर विधेयक में 536 धाराएं शामिल हैं, जबकि वर्तमान आयकर अधिनियम में 298 धाराएं थीं. इसके साथ ही, पुराने कानून में 14 अनुसूचियां थीं, जो अब बढ़कर 16 हो जाएंगी. हालांकि, विधेयक में अध्यायों की संख्या 23 ही रखी गई है, और इसके पृष्ठों की संख्या घटकर 622 हो गई है, जो कि पुराने कानून के आधे से भी कम है.

कैबिनेट की मंजूरी

इस विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई थी, और अब यह लोकसभा में चर्चा के लिए भेजा गया है. विधेयक के पेश होने के बाद सदन की कार्यवाही 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई. 

नया विधेयक क्यों जरूरी?  

नए आयकर विधेयक का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना और सरकार के लिए कर संग्रहण में पारदर्शिता लाना है. यह भारतीय कर प्रणाली में सुधार का बड़ा कदम साबित हो सकता है, जो आने वाले समय में करदाताओं के लिए अधिक सुलभ और समझने योग्य होगा. 









  

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