New Parliament features: संसद की 96 साल पुरानी इमारत में कार्यवाही का आज यानी मंगलवार को आखिरी दिन था. आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे. पीएम मोदी ने सबके साथ फोटो खिंचवाई. इसके बाद तमाम सांसद सेंट्रल हॉल पहुंचे. सेंट्रल हॉल में अपने अनुभव साझा करते समय कुछ सांसद भावुक हुए उसके बाद सभी सांसद पीएम मोदी के साथ नए संसद भवन की तरफ चल पड़े. तो चलिए इस नए संसद भवन की क्या खासियत के बारे में जानते हैं.
2020 में पीएम मोदी ने रखी थी संसद भवन की नींव
देश के नए संसद भवन की नींव 10 दिसंबर 2020 को रखी गई थी. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई को किया था. नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स ने रिकॉर्ड समय से पहले ही कर लिया था. यह केंद्र की सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्लान का एक हिस्सा था. नया संसद बनाने में तकरीबन 1200 करोड़ रुपए खर्च आया है. इसकी डिजाइनिंग गुजरात के एक आर्किटेक्चर फर्म एचसीपी डिजाइन ने की है.
नए संसद भवन की खासियत–
नए संसद भवन के लोकसभा में 888 सदस्यों के बैठने के लिए जगह है वहीं राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठक की व्यवस्था की गई है. ऐसा भविष्य में सांसदों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखकर किया गया है. इसके अलावा दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के लिए एक अलग हॉल बनाया गया है जिसमें 1280 सांसद एक साथ बैठ सकते हैं. ये इमारत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है जो सदस्यों को अपने काम को बेहतर ढंग से करने में मदद करेगा.
इस भवन में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के प्रवेश के लिए अलग द्वार हैं. भवन में 120 ऑफिस है जिसमें अलग-अलग मंत्रियों के दफ्तर हैं जिसमें प्रधानमंत्री का दफ्तर भी शामिल है. लोकसभा चैंबर 3015 वर्ग मीटर में फैला हुआ है जो मयूर थीम पर आधारित है. कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के तमाम कमरों में भी हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं. कॉमन रूम, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था की गई है.
क्यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत-
अब ये जानना भी जरूर है कि, आखिर इस नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी. संसद का मौजूदा भवन अब शायद अब संविधान सदन कहलाएगा 1927 में बनकर तैयार हुआ था, जो अब लगभग 100 साल पुराना होने जा रहा है. इसके दोनों सदनों में सांसदों के बैठने की व्यवस्था का भी अभाव था. इसके अलावा जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक रोशनी कम हो गई है. इस भवन को आधुनिक अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है. इससे आपात स्थिति में निकासी की व्यवस्था अत्यंत अपर्याप्त और असुरक्षित है.