केवल गाउन के आधार पर किसी के साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जाता: उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल गाउन (वकील की पोशाक) के आधार पर किसी के साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जा सकता. इसने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 70 वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: social media

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल गाउन (वकील की पोशाक) के आधार पर किसी के साथ बेहतर व्यवहार नहीं किया जा सकता. इसने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 70 वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया.

अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा की याचिका पर सुनवाई

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही थी. यह याचिका अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुम्परा और अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पिछले साल नवंबर में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वकीलों को वरिष्ठ का दर्जा दिए जाने को चुनौती दी थी.

वरिष्ठ वकील का दर्जा: उच्चतम न्यायालय का रुख

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि केवल गाउन पहनने से किसी के साथ विशेष व्यवहार करना उचित नहीं है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वरिष्ठता का निर्धारण केवल वकील की प्रतिष्ठा, अनुभव और योग्यता के आधार पर किया जाता है, न कि उनकी पोशाक के आधार पर.

महत्वपूर्ण फैसला: वरिष्ठता का चयन किस आधार पर?

यह निर्णय भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक अहम बिंदु है, जहां कोर्ट ने यह माना कि वरिष्ठता का कोई औपचारिक नियम नहीं होता है, और इसे निर्धारित करने में अन्य मानकों की भी अहमियत है. इसके अलावा, इस फैसले ने यह भी स्थापित किया कि न्यायपालिका में निर्णय लेने की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि किसी के साथ भेदभाव न हो.

उच्चतम न्यायालय का यह फैसला भारतीय न्यायिक प्रणाली में समानता और निष्पक्षता का प्रतीक है. इसने यह स्पष्ट किया कि वरिष्ठ वकील का दर्जा केवल अनुभव और योग्यता पर आधारित होना चाहिए, न कि किसी की पोशाक या गाउन पर.

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

Tags :