नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) एक बार फिर विवादों के घेरे में है, इस बार जेईई मेन-2025 के सेशन 1 की फाइनल आंसर-की को लेकर. परीक्षा के 12 सवालों को हटाए जाने के बावजूद, गलती की दर बढ़कर 1.6% हो गई है, जो कि 0.6% से कहीं ज्यादा है. इस विवाद ने फिर से एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं.
संबंधित रिपोर्ट के अनुसार, जेईई मेन 2025 के सेशन 1 में 12 सवालों को फाइनल आंसर-की से हटा दिया गया था, जिससे कुल सवालों की संख्या 90 से घटकर 75 रह गई. इनमें से कई सवाल फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से संबंधित थे. छात्रों ने इन सवालों के हटने पर आपत्ति जताई है, क्योंकि यह उनके प्रदर्शन और रैंकिंग को प्रभावित करता है.
एक और गंभीर समस्या यह सामने आई कि जेईई मेन-2025 के सेशन 1 के प्रश्नपत्र में अनुवाद में भी कई गलतियां थीं, जिससे छात्रों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई. खासकर, सवालों के गलत उत्तर को सही करने के प्रयास में और विसंगतियां सामने आईं, जिसने छात्रों को और ज्यादा कठिनाइयों में डाल दिया.
यह पहली बार नहीं है जब एनटीए विवादों में घिरी है। पिछले साल, नीट-यूजी के रिजल्ट में एक साथ 67 टॉपर्स घोषित किए गए थे, जिसके बाद छात्र सड़कों पर उतर आए थे और परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. इसके अलावा, 2017 में जब एनटीए की स्थापना हुई थी, तब से कई बार परीक्षाओं में तकनीकी समस्याएं और गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं.
नीट-यूजी के पेपर लीक मामले में भी एनटीए की छवि दागदार हो चुकी है, जब पुलिस ने दावा किया कि क्वेश्चन पेपर डार्कनेट पर लीक हुआ था. इसके बाद, शिक्षा मंत्रालय ने भी इस मामले को लेकर पुष्टि की थी और एहतियात के तौर पर यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था.
एनटीए पर बढ़ती आलोचनाएं यह दिखाती हैं कि एजेंसी को अपनी प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है. तकनीकी समस्याओं और परीक्षा संबंधित विवादों के बाद छात्रों का विश्वास प्रभावित हो रहा है. एनटीए को अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और सुधार लाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे विवादों से बचा जा सके.