रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर जानें कैसे मणिकर्णिका आकाश के बादल पर सवार हो गई थी

Rani Laxmibai Jayanti: भारतीय विद्रोह की प्रमुख शख्सियतों में से एक रानी लक्ष्मीबाई को माना जाता है.

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हाइलाइट्स

  • रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े में सारंगी ,पवन व बादल थे.
  • रानी को एक गोली लगी एवं वह स्वर्णरेखा नदी के किनारे शहीद हो गईं थी. 

Rani Laxmibai Jayanti: रानी लक्ष्मी बाई की जयंती आज पूरा देश मना रहा है. इनका असली नाम मणिकर्णिका था. वहीं बचपन में उन्हें प्यार से मनु कह कर बुलाया जाता था. इतना ही नहीं उनका जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 मराठी परिवार में हुआ था. जबकि वह देशभक्ति ,बहादुरी, सम्मान का प्रतीक मानी जाती है. इनके पिता मोरोपंत तांबे मराठा बाजीराव की सेवा में थे एवं उनकी माता एक विद्वान महिला थी.

लक्ष्मीबाई का बचपन

आपको बता दें कि लक्ष्मी बाई का बचपन बहुत कठिन तरीके से बीता था. रानी लक्ष्मी बाई का बचपन उनके नाना के घर बीता जहां वह छबीली कहकर पुकारा जाता था. इसके साथ ही जब वह 12 वर्ष की उनकी उम्र थी. उस समय से झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ उन्हें विवाह बंधन में बांध दिया गया था. दरअसल जब उनके खेलने की आयु थी तब उनको ससुराल जाना पड़ा था. 

लक्ष्मीबाई की मृत्यु 

आपको बता दें कि झांसी से कालपी होते हुए रानी लक्ष्मीबाई दूसरे विद्रोहियों के साथ ग्वालियर पहुंच गई थीं. मगर कैप्टन ह्यूरोज की युद्ध योजना के कारण आखिरकार रानी लक्ष्मीबाई को घेर लिया गया. साथ ही शहर के रामबाग तिराहे से शुरू हुई आमने-सामने की महान जंग में जख्मी रानी को एक गोली लगी एवं वह स्वर्णरेखा नदी के किनारे शहीद हो गईं थी. 

बादल की सवारी 

रानी लक्ष्मीबाई के घोड़े में सारंगी ,पवन व बादल थे. इतना ही नहीं वर्ष 1858 के इतिहास के मुताबिक यह माना जाता है कि, किले की ओर इतना तेज भागी की भागते समय अपने घोड़े पर सवार रानी लक्ष्मीबाई आकाश के बादल पर सवार हो गई थी.