Parliament: संसद की सुरक्षा में चूक मामले का मास्टर माइंड कहा जाने वाला ललित झा ने खुद को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया है. जिसके बाद पुलिस ने उसे न्यायिक हिरासत में ले लिया है.
वहीं इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस का कहना है कि, अपराधी ललित झा ने घटना की वीडियो बनाई और मौके से भाग निकला. मिली सूचना के मुताबिक वह दिल्ली से बस लेकर राजस्थान के नागौर में जाकर एक होटल लिया. और अपने दोस्तों के साथ पूरी रात मस्ती करता रहा. जबकि इसी दौरान उसे मालूम हुआ कि, दिल्ली पुलिस उसकी तलाश में लगी है तो वह खुद वापस दिल्ली आकर पुलिस के सामने आ पहुंचा. वहीं ललित पर आरोप है कि, वह चारों अपराधियों की तरफ से घटना को अंजाम देने का वीडियो बनाकर एनजीओ पार्टनर को भेजा था.
आपको बता दें कि इससे पहले भी पुलिस ने घटना को अंजाम देने वाले चारों आरोपियों जिसका नाम नीलम आजाद, अमोल, सागर शर्मा और मनोरंजन डी उसे न्यायिक हिरासत में ले चुकी है. वहीं इन चारों अपराधियों को बीते दिन यानि 14 दिसंबर को कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद 7 दिन की पुसिल रिमांड पर रखा गया है. इतना ही नहीं पुलिस ने बताया कि इन आरोपियों को घटना स्थल पर ले जाकर पूछताछ की जाएगी, साथ ही सारे लोगों को आमने-सामने रख कर पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जाएगी.
पुलिस ने बताया कि, जिस जूते में अरोपियों ने छुपाकर कैनिस्टर लाया था. वह जूता लखनऊ की बाजार से खरीदा गया था. जबकि कैनिस्टर को महाराष्ट्र से खरीद कर लाया गया था. जिसके बाद अपराधियों ने अपने दिमाग का इस्तेमाल करके इसे कलर बम बना दिया. दरअसल पुलिस ने कोर्ट को बयान दिया कि जिस तरह की घटना संसद में की गई है, यह कोई आम घटना नहीं है बल्कि आतंकवादी के तरीके से सदन में घुसकर सांसदों को डराने और सदन की कार्यवाही को भंग करने का प्रयास किया गया है.
इतना ही नहीं भारतीय दंड संहिता और आतंकवाद निरोधक कानून की धारा (UAPA) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. मिली सूचना के अनुसार पुलिस ने कोर्ट से 15 दिन की रिमांड मांगी थी, परन्तु अरोपियों के वकील का कहना था कि जांच के लिए पांच दिन बहुत होता है. जिस बहस के बाद अदालत ने पुलिस को 7 दिन की पुलिस रिमांड पर लेने का आदेश दिया है.
पुलिस का कहना है कि, संसद मार्ग थाने में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य) 452 (अनधिकार प्रवेश), 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 18 (साजिश आदि) और आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 186 (लोकसेवक के सार्वजनिक कार्य निर्वहन में बाधा पहुंचाना) और 353 (लोकसेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) के तहत केस दर्ज कर लिया गया है.
मिली सूचना के मुताबिक आरोपियों का कहना है कि, वे भारत में ब्रिटिश शासन के समय जिस तरह की घटना क्रांतिकारी भगत सिहं ने ‘सेंट्रल असेंबली’ के अंदर बम फेंककर किया था, उसी तरह की घटना को फिर से अंजाम देने की हमारी सोच थी. इतना ही नहीं अपराधियों ने तिरंगा झंडा भी खरीदा था. वहीं घटना की प्लानिंग करने के लिए सारे आरोपी गुरुग्राम के रहने वाले विशाल शर्मा उर्फ विक्की के घर पर ठहरे हुए थे.