Parliament Winter Session: ब्रिटिश युग के कानूनों की जगह लाए गए तीन नए विधेयक, अपराध और अपराधियों पर कसेगा शिकंजा

Parliament Winter Session: गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में गवाहों के लिए सुरक्षा, महिलाओं के लिए ई-FIR और मॉब लिंचिंग पर फांसी से जुड़े तीन नए विधेयक पेश किये. इन विधेयकों को ध्वनिमत द्वारा पास किया गया.

Date Updated
फॉलो करें:

हाइलाइट्स

  • सदन में पास किये गए तीनों नए विधेयक में पुलिस के लिए हैं खास दिशा-निर्देश
  • महिलाओं की सुरक्षा का भी रखा गया है विशेष ध्यान

Parliament Winter Session:  बुधवार 20 दिसम्बर को लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों की जगह तीन नए  विधेयक पेश किये. लोकसभा से ये विधेयक ध्वनिमत द्वारा पास हो गए. गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पेश किया. इन तीनों विधेयक के कानून बन जाने पर ये औपनिवेशिक कालीन आपराधिक कानून 1860 के भारतीय दंड संहिता (IPC), 1973 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे.

गृह मंत्री ने बताई विधेयक की विशेषता

सदन में विधेयक पेश करने के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने इन कानूनों की विशेषता ही बताई. उन्होंने पास किये तीनों नए विधेयकों को ब्रिटिश युग के कानूनों से बेहतर बताया. उन्होनें कहा कि पहले के कानूनों में ब्रिटिश हुकूमत की सलामती सर्वोच्च प्राथमिकता थी, लेकिन इन विधेयकों में मानव सुरक्षा के साथ ही देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. उन्होंने विधेयकों के बारे में बताते हुए कहा कि इन विधेयकों के कानून बनने के बाद अपराध और अपराधियों पास नकेल कसी जाएगी. आइए जानते हैं क्या हैं इन तीन विधेयकों में. 

तय समय में दर्ज करनी होगी एफआईआर

केंद्र सरकार की ओर से पेश किये इस विधेयक में पुलिस को  खास दिशा-निर्देश दिये गए हैं. इस विधेयक के अनुसार, पुलिस को घटना के तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करके 14 दिन के भीतर प्रारम्भिक जांच पूरा करन होगा. इसके साथ ही मजिस्ट्रेट के पास रिपोर्ट की समयसीमा 24 दिन के अंदर होगी. आरोप पत्र दाखिल करने में 180 दिन से ज्यादा की देर नहीं करनी होगी.

 इसके अलावा विधेयक में कहा गया है कि अगर किसी मामले में जांच चल रही हो तो उस स्थिति में कोर्ट से विशेष अनुमति लेनी होगी. गृह मंत्री ने विधेयक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराध, जिनमें 3 से सात साल या उससे ज्यादा सजा का प्रावधान है. ऐसे अपराधों के लिए भी यही सख्त टाइमलाइन फॉलो की जानी चाहिए. उन्होंने चार्जशीट को लेकर कहा कि पहले 60-90 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल करनी होती थी, लेकिन  री-इंवेस्टिगेशन के कारण इसमें देरी हो जाती थी. जबकि अब पुलिस को तय समयसीमा के अंदर चार्जशीट दाखिल करना होगा. 

मॉब लिंचिंग पर क्या होगी सजा

सदन में विधेयक पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सरकार राजद्रोह को देशद्रोह में बदलने जा रही है. विधेयक में 
मॉब लिंचिंग मामले में मौत की सजा की बात कही गई है. उन्होंने इस बारे में कहा कि मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और नए कानून में इस अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया जा रहा है.

महिलाओं के लिए उपलब्ध होगी ई-एफआईआर की सुविधा

कई बार महिलायें लोक-लाज या डर की वजह से एफआईआर कराने पुलिस स्टेशन नहीं जा पाती, विधेयक में उनके लिए ई एफआईआर की सुविधा का प्रस्ताव दिया गया है. इसके तहत 24 घंटे के अंदर पुलिस खुद उनसे संपर्क करेगी. इसके साथ ही झूठ बोल कर या शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान किया गया है. 

कानूनी प्रक्रिया से नहीं बच पाएंगे भगोड़े

सदन में पेश किया गया विधेयक किसी मामले में आरोपी की गैरमौजूदगी में सुनवाई का प्रावधान पेश करता है. इस बारे में गृह मंत्री ने कहा कि "नए प्रावधान से भारत में कानूनी प्रक्रिया से बचने वाले सभी भगोड़ों के खिलाफ उनकी अनुपस्थिति में भी कार्रवाई की जा सकती है. इससे तुरंत न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और ऐसे भगोड़ों को देश में वापस लाने की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी". इस विधेयक के अनुसार, आगे आरोपी 90 दिन के अंदर कोर्ट में उपस्थित नहीं होते हैं तो उनकी गैरमौजूदगी में ही मुकदमा चलाया जाएगा.