संसदीय समिति की सिफारिश: पराली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसा तंत्र स्थापित करने की जरूरत

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने सर्दियों में पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए धान के अवशेषों के लिए न्यूनतम मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने का सुझाव दिया है. समिति का मानना है कि यह कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करेगा और प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में मदद करेगा. 

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Courtesy: social media

नई दिल्ली : संसद की एक समिति ने सर्दियों में पराली जलाने को नियंत्रित करने के लिए धान के अवशेषों के लिए न्यूनतम मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने का सुझाव दिया है. समिति का मानना है कि यह कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करेगा और प्रदूषण पर नियंत्रण पाने में मदद करेगा. 

पराली जलाने से जुड़ी समस्या

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सर्दियों के दौरान प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, पटाखों की आवाज और पराली जलाने की घटनाएं हैं. खासकर पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, किसान अगली फसल की तैयारी के लिए धान के अवशेषों को जलाते हैं. यह ना केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता को भी खतरे में डालता है. 

न्यूनतम मूल्य की सिफारिश

समिति ने सुझाव दिया कि धान के अवशेषों के लिए न्यूनतम मूल्य (एमएसपी) जैसा तंत्र स्थापित किया जाए, ताकि किसानों को पराली बेचने पर गारंटीकृत रिटर्न मिल सके. यह कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहित करेगा और उनके लिए वैकल्पिक तरीका अपनाना आसान बनाएगा. समिति ने इस व्यवस्था के तहत बेंचमार्क कीमतों की सालाना समीक्षा और अधिसूचना की सिफारिश की है. 

मशीनरी और सरकारी प्रयास

केंद्र सरकार ने किसानों को धान के पुआल के प्रबंधन के लिए सब्सिडी वाली मशीनरी प्रदान की है, जैसे हैप्पी सीडर, रोटावेटर और मल्चर. हालांकि, उच्च ईंधन लागत के कारण कई किसान इन मशीनों का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. समिति ने सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार को इस संबंध में अधिक वित्तीय प्रोत्साहन और समर्थन प्रदान करना चाहिए. 

फसल विविधीकरण और जैव ऊर्जा

समिति ने राज्य सरकारों से कम अवधि की धान की किस्मों को अपनाने का भी आग्रह किया, ताकि किसान फसल अवशेषों की मात्रा कम कर सकें. इसके अलावा, समिति ने कृषि अवशेषों को जैव ऊर्जा उत्पादन में एकीकृत करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता पर जोर दिया. इस नीति के तहत विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय स्थापित करने और बायोथेनॉल, बायोगैस और बायोमास पैलेट जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने की सिफारिश की गई है. 

समिति की सिफारिशें

समिति ने कृषि अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए एक प्रभावी मूल्यांकन ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि किसानों को फसल विविधीकरण और जैव ऊर्जा के लिए प्रोत्साहन मिल सके. इसके अलावा, समिति ने सरकारी योजनाओं के तहत किसानों को वित्तीय सहायता देने का सुझाव भी दिया है.

समिति की यह सिफारिशें किसानों के लिए एक स्थिर और लाभकारी विकल्प प्रदान कर सकती हैं, जिससे पराली जलाने की समस्या पर काबू पाया जा सकता है और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिल सकती है. इसके साथ ही, सरकार के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी और प्रदूषण के स्तर को घटाया जा सकेगा.







 

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