Political: तीन राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद बिहार की राजनीति डगमगा गई है. कांग्रेस ने अपनी हार के बाद आने वाले 6 दिसंबर को दिल्ली में इंडी गठबंधन की बैठक बुलाई है. दरअसल इस बैठक में विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए सीएम नीतीश कुमार को बुलाया गया था. किन्तु सूचना मिल रही है कि, वह इस बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं. इतना ही नहीं सीएम नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य का हवाला दिया था. मगर मंगलवार को सीएम जब कैबिनेट की बैठक में पहुंचे तो साफ तौर पर ये सोचा जा सकता है कि, ये बीजेपी की जीत का असर है.
वहीं जमुई से सांसद चिराग पासवान ने इस मुद्दे को लेकर अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि, जैसे बिहार में सीएम जी एवं उनकी नीतियां फ्लॉप साबित होती नजर आ रही है. जहां एक बार विपक्ष को एकजुट करने की नीति भी विफल है, नीतीश कुमार का नेतृत्व विपक्ष के किसी भी नेताओं को पहले से ही स्वीकार्य नहीं था. जिसकी वजह से ही तास के पत्ते की तरह ही विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव से पहले बिखरता हुआ दिखाई दे रहा है.
दरअसल तीन राज्यों में आए रिजल्ट से यह पता चल गया कि, नीतीश कुमार जी की अगुवाई वाला महागठबंधन पीएम मोदी जी के नेतृत्व वाले एन.डी.ए गठबंधन के सामने चकनाचुर हो चुका है. साथ ही 6 दिसंबर को होने वाली विपक्ष की बैठक में नीतीश कुमार जी की मौजूदगी न होना साफ बताता है कि, मुख्यमंत्री जी हार से डर गए हैं और बीमारी का बहाना बना रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि, नीतीश कुमार जी ये तो अभी शुरुआत ही है,आने वाले दिनों में देखते जाइए क्या-क्या होता है.
कांग्रेस की मौजूदा विधायक और अपने बयानों को लेकर पहचाने जाने वाली महिला विधायक प्रतिमा कुमारी ने अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री पर तंज कसा है. दरअसल अपनी पार्टी यानी के राष्ट्रीय नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बुलाए बैठक में न जाने पर प्रतिमा कुमारी बयान दिया है. उनका कहना है कि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इंडी गठबंधन की कमान सौंपने को लेकर सभी दल के वरीय नेताओं का एक राय नहीं है. बल्कि यह निर्णय पार्टी के बड़े नेताओं के हाथों होगा, प्रतिमा कुमार ने आगे कहा कि, नीतीश कुमार की भी छवि कुछ राष्ट्रीय स्तर की तरह है. जबकि एक हार से कांग्रेस की नीतियों पर प्रश्न उठाना उचित नहीं है. उनका कहना है कि एक समय था जब कांग्रेस ने अपनी नीतियों की वजह से ही लम्बे दशक तक जनता की सेवा में कार्यरत थी.