Sambhal Violence: संभल मामले को लेकर विरोधी पार्टियों द्वारा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. विरोधी दल इस पूरे घटना का दोष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर लगा रहे हैं. वहीं सरकार इस मामले का जिम्मेदार विपक्ष को बता रही है. एक ओर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी संभल में एंट्री लेने की पूरी कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पुलिस किसी भी हाल में उन्हें यहां दाखिल होने देना चाहती हैं.
यूपी पुलिस द्वारा दोनों पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल को यहां आने से मना किया गया है. वहीं कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इस बात को मानने को तैयार नहीं थे. हालांकि कांग्रेस लखनऊ कार्यालय के बाहर हंगामा के बाद इस पदयात्रा को रद्द कर दिया गया है. पुलिस ने सुरक्षा के लिए पूरी जिले में धारा 163 लागू कर दी है.
कांग्रेस पार्टी आज संभल आने की कोशिश में थी. इससे पहले ही पुलिस द्वारा सख्ती से मना कर दिया गया. उनका कहना है कि ऐसे समय में भीड़ जुटाना या फिर किसी तरह का कोई बयान देना फिर से हिंसा को भड़का सकता है. इस पूरे बात की जानकारी देते हुए यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने कहा कि अधिकारियों द्वारा 10 दिसंबर तक संभल में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध का हवाला देने के बाद पदयात्रा स्थगित कर दी गई है.
डीसीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों ने प्रतिबंध हटने पर हमें सूचित करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि जिस दिन वो हमें सूचित करेंगे उसी दिन हमारा एक प्रतिनिधिमंडल संभल दौरा करेगा. हालांकि इससे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच एक झड़प देखने को मिली. कार्यकर्ताओं ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
#WATCH | Lucknow: Uttar Pradesh Congress President Ajay Rai says "The DCP and other police officials have said that they inform us when the restrictions are lifted. There are restrictions in Sambhal till 10th December. The day the Police will inform us that restrictions have been… pic.twitter.com/uWqMlMHO1W
— ANI (@ANI) December 2, 2024
अजय राय ने कार्यकर्ताओं के संभल में एंट्री नहीं लेने देने के बाद सरकार पर जमकर हमला बोला है. उन्होने कहा कि वे किसी को वहां जाने देना नहीं चाहते हैं है. ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे कोई पाप करने के बाद अपनी गलती को किसी भी हाल में छुपाने की कोशिश करता है. बता दें कि ये पूरा विवाद 19 नवंबर को शुरू हुआ. जब कोर्ट ने मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के निरीक्षण का आदेश दिया था. जिसमें दावा किया गया था कि यह मस्जिद पहले मंदिर हुआ करता था. सर्वे करने आए अधिकारियों की मौजूदगी में ही मामला ने तूल पकड़ लिया. जिसके बाद पुलिस ने भी अपनी ओर से एक्शन शुरू कर दिया. हालांकि अबतक इस घटना में पांच लोगों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद विपक्षी पार्टी लगातार इस मामले को लेकर सवाल खड़ा कर रही है.