पंजाब में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। भारतीय इतिहास में अब तक का यह सबसे काला दिन माना जाता है। बता दें कि जलियांवाला बाग के बलिदानियों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने याद किया और बलिदानियों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। राष्ट्रपति मुर्मू ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। राष्ट्रपति ने लिखा है कि “हाल ही में उन्हें जलियांवाला बाग के पवित्र स्थल के दर्शन करने और वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मौका मिला था। देश के लिए जान न्योछावर करने वाले उन स्वाधीनता सेनानियों के लिए भारतवासी हमेशा कृतज्ञ रहेंगे।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, “मैं इस दिन जलियांवाला बाग में शहीद हुए सभी शहीदों के बलिदान को याद करता हूं। उनका महान बलिदान हमें अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने और एक मजबूत और विकसित भारत के निर्माण के लिए और भी कड़ी मेहनत करने को प्रेरित करता है।”
मुख्यमंत्री पंजाब भगवंत मान ने भी शहीदों को याद कर नमन किया है। सीएम मान ने ट्वीट कर लिखा है कि “जलियांवाला बाग शहीदी स्थल लोगों को अत्याचार के खिलाफ हमेशा एकजुट होकर आवाज बुलंद करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।”
भगवंत मान सरकार के अन्य मंत्रियों ने भी जलियांवाला बाग की घटना को याद करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। बता दें कि पर्यटन मंत्री अनमोल गगन मान ने भी इस घटना काे याद करते हुए शहीदों को नमन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की है।
वहीं पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने भी जलियांवाला बाग की घटना में जान न्योछाबर करने वाले दिलेर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “मातृभूमि के के लिए समर्पण और देशभक्ति की भावना के साथ खुद का त्याग करने वाले निधड़क सूरमे हमारे दिलों में सदैव बसे रहेंगे।”
बता दें कि जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को एक शांतिपूर्ण सभा के लिए एकत्रित हुए हजारों भारतीयों पर ब्रिटिश जनरल ओ डायर के निर्देश पर अंग्रेजी फौज ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। अमृतसर जिले में स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे के एकमात्र निकास द्वार को बंद कर दिया गया था। इस नरसंहार में गोलीबारी से घबराकर कई औरतों ने अपने मासूम बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में छलांग दी थी, कई सारे लोग भगदड़ में कुचले गए, तो वहीं हजारों लोग गोलियों के शिकार हो गए थे।