छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र के परभणी में पुलिस हिरासत में दलित व्यक्ति सोमनाथ सूर्यवंशी की मौत के मामले में न्याय की मांग को लेकर निकाले गए मार्च में शामिल प्रदर्शकारियों का कहना है कि सरकार उनकी आवाज नहीं सुन रही है, इसीलिए उन्हें सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ा है.
मार्च के आयोजकों का कहना है कि 17 जनवरी को परभणी शहर से प्रारंभ हुए इस मार्च का समापन 17 से 20 फरवरी के बीच मुंबई में होगा. परभणी रेलवे स्टेशन के बाहर बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के पास कांच के सांचे में रखी संविधान की प्रतिकृति को 10 दिसंबर 2024 को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था जिसके बाद हुई हिंसा के सिलसिले में सूर्यवंशी को गिरफ्तार किया गया. कुछ दिनों बाद पुलिस हिरासत में सूर्यवंशी की मौत हो गई.
पांच सौ किलोमीटर से अधिक लंबे मार्च में शामिल संजीवनी भराडे ने कहा, ‘‘सरकार ने हमारी मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया है. हम सोमनाथ सूर्यवंशी के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, जिसकी मौत पिछले माह परभणी में कथित तौर पर पुलिस की पिटाई से हुई. हमारी आवाज नहीं सुनी जा रही है, इसलिए हम मुंबई कूच पर निकल पड़े हैं.’’
मार्च में हिस्सा ले रहे लोगों ने सोमवार को राज्य की राजधानी की ओर अपनी यात्रा जारी रखने से पहले छत्रपति संभाजीनगर में रात्रि पड़ाव किया.
भराडे ने कहा, ‘‘हम अब तक 230 किलोमीटर पैदल मार्च कर चुके हैं. संविधान के अपमान के खिलाफ पिछले माह परभणी में निकाले गए हमारे विरोध मार्च के दौरान, कुछ युवा इसमें घुस गए और अराजकता फैला दी. लेकिन पुलिस ने उन लोगों पर कार्रवाई की जो इसमें संलिप्त नहीं थे.’’
पुलिस ने हमारे परिवारों के युवाओं से मारपीट की. उन्होंने आरोप लगाया कि सोमनाथ सूर्यवंशी को केवल इसलिए पीट-पीटकर मार डाला क्योंकि उसने दूसरों की पिटाई करते हुए पुलिस का वीडियो रिकॉर्ड कर लिया था.
उन्होंने कहा, ‘‘हम सूर्यवंशी के दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर मुंबई कूच पर हैं. संविधान की प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त करने वाले के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए." उन्होंने आरोप लगाया कि मार्च शुरू होने के बाद से सरकार की ओर से कोई भी हमसे मिलने नहीं आया.
एक अन्य प्रदर्शनकारी सुशीलाबाई निसर्ग (65) ने कहा, ‘‘मार्च का रास्ता कठिन है लेकिन हम मुंबई पहुंचे बिना पीछे नहीं हटेंगे. इस सरकार ने हमें सड़क पर उतरने को मजबूर किया क्योंकि हमारी आवाज नहीं सुनी जा रही. मुंबई कूच करने वालीं महिलाओं में कई 70-75 वर्ष की हैं.’’
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