Punjab News: हाईकोर्ट का आदेश- बच्चों के लिए कमाई के नए साधन बनाना पिता की नैतिक जिम्मेदारी

Punjab News: पंजाब के मोगा में दुकान को खाली कराने की लड़ाई लड़ते अश्विनी कुमार ने जीवन त्याग दिया. 15 साल से लड़ रहे कानूनी जंग में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अश्विनी के हक में फैसला किया. अश्विनी के मौत के बाद उनके बेटे के द्वारा केस की पैरवी की जा रही थी. हाईकोर्ट […]

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Punjab News: पंजाब के मोगा में दुकान को खाली कराने की लड़ाई लड़ते अश्विनी कुमार ने जीवन त्याग दिया. 15 साल से लड़ रहे कानूनी जंग में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अश्विनी के हक में फैसला किया. अश्विनी के मौत के बाद उनके बेटे के द्वारा केस की पैरवी की जा रही थी. हाईकोर्ट ने इस बात को माना कि इस गरीब परिवार को दुकान की अत्यधिक जरूरत है, किराएदार इसे जल्द खाली करें. जस्टिस ने कहा कि एक पिता की नैतिक जिम्मेदारी होती है कि अपने बच्चों के लिए कमाई के अच्छे साधन बनाए. जिनसे उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके.

पूरा मामला

अश्विनी कुमार जो कि मोगा के रहने वाले हैं. अपीलेट अथॉरिटी के फैसले के खिलाफ जाकर 9 दिसंबर 2006 को याचिका दायर की थी. अथारिटी की तरफ से रेंट कंट्रोलर के द्वारा किए फैसले को 11 मार्च 2006 को खारिज कर दिया गया था. रेंट कंट्रोलर के द्वारा दुकान खाली करने के लिए बोला गया था.

मालिकाना हक की लड़ाई के दौरान हुई मौत

अश्विनी ने अपीलेट अथारिटी के फैसले के खिलाफ जाकर हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की. अश्विनी ने याचिका में लिखा कि उसे अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए दुकान की अधिक जरूरत है. उस दुकान को खाली करवा दिया जाए.

नेशनल ज्यूडीशियल डाटा

हाईकोर्ट के अंदर 21.37% मामले हैं जो कि विचाराधीन नेशनल ज्यूडीशियल डाटा ग्रिड के अनुसार है. हरियाणा एवम पंजाब हाईकोर्ट में मौजूदा वक्त में 2,76,378 सिविल केस विचाराधीन माने गए हैं. इनमें कई केस 10 से 20 वर्ष पुराना बताया गया है. इनमें अधिक मामले संपत्ति विवाद के हैं.

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