Punjab News: पंजाब सरकार ने सारे पंचायतों को भंग करने का निर्णय वापस लिया है. राज्य सरकार आने वाले एक से दो दिन में नोटिफिकेशन वापस लेगी. पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में बीते दिन पंचायतें भंग करने के मामले पर सुनवाई की गई. इस दरमियान पंजाब के चीफ सेक्रेटरी ने आदेश वापस लेने की बात बताई.
आपको बता दें कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने मामले में AAP (आम आदमी पार्टी) को खरी खोटी सुनाई थी. कोर्ट ने कहा कि आखिर किस अधिकार से पंचायतों को भंग करने का निर्णय लिया गया है. सरकार को ये अधिकार कब मिला कि वह लोगों के चुने प्रतिनिधियों से उनके अधिकार को छीने.
पंजाब सरकार ने बीते 10 अगस्त को सभी पंचायतें को भंग करने के मामले में नोटिफिकेशन जारी करके इस निर्णय को जनकल्याण के लिए बताया था. वहीं पटियाला सहित विभिन्न जिला ग्राम पंचायतों की तरफ से दायर याचिका में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को गलत व अनुचित ठहरा दिया गया है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि सारे ग्राम पंचायतों को भंग किया गया है. जबकि ग्राम विकास, पंचायत, डायरेक्टर, विशेष सेक्रेटरी को ग्राम पंचायतों के सारे कार्य व शक्तियों का उपयोग सहित प्रशासकों की नियुक्ति करने के अधिकार मिले हैं. कभी भी चुनाव की घोषणा करने एवं पंचायतें भंग करने की शक्ति का अर्थ ये नहीं कि संविधान द्वारा समय अवधि को घटा दिया जाए.
पंजाब सरकार की तरफ से ग्राम पंचायतों को पंजाब पंचायती राज एक्ट 1994 की धारा 29-ए के अधीन करके भंग कर दिया गया था. राज्य सरकार ने पंचायती रिकॉर्ड को संभालकर रखने के लिए सामाजिक शिक्षा व पंचायत अफसर, ग्रामीण विकास अफसर, जूनियर इंजीनियर, बतौर प्रबंधक नियुक्ती की गई है.
जानकारी दें कि 14 अगस्त तक ग्राम पंचायतों को अलग करके पेन ड्राइव सहित सॉफ्ट कॉपी की मदद से प्रोफार्मा भेजने के आदेश जारी हुए हैं. पंजाब में 13 हजार से ज्यादा पंचायतों में चुनाव 31 दिसंबर को होने की संभावना है.