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महाकुंभ की सबसे खूबसूरत साध्वी हर्षा रिछारिया ने क्यों बदला जीवन?

महाकुंभ के शुरुआत के साथ ही खूबसूरत ‘साध्वी’ हर्षा रिछारिया चर्चा का विषय बन गई हैं. उन्हें लोग महाकुंभ की ‘सबसे सुंदर साध्वी’ मान रहे हैं, हालांकि वह अभी पूरी तरह से साध्वी नहीं बनी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर हर्षा ने अचानक भक्ति का मार्ग क्यों अपनाया?

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Courtesy: Social Media

महाकुंभ के शुरुआत के साथ ही खूबसूरत ‘साध्वी’ हर्षा रिछारिया चर्चा का विषय बन गई हैं. उन्हें लोग महाकुंभ की ‘सबसे सुंदर साध्वी’ मान रहे हैं, हालांकि वह अभी पूरी तरह से साध्वी नहीं बनी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर हर्षा ने अचानक भक्ति का मार्ग क्यों अपनाया? उन्हें इस बदलाव के लिए क्या प्रेरित किया? आइए जानते हैं.

महाकुंभ वायरल साध्वी हर्षा रिछारिया: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की धूम मच चुकी है, जहां लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए रोज़ पहुंच रहे हैं. इस मेले में नागा साधुओं और बाबाओं के अलावा, सोशल मीडिया पर एक और नाम चर्चा में है – हर्षा रिछारिया. उन्हें महाकुंभ की ‘सबसे खूबसूरत साध्वी’ के तौर पर पहचाना जा रहा है, और इन दिनों उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं.

हालांकि, हर्षा रिछारिया ने खुद को साध्वी के रूप में स्वीकार करने से इंकार किया है, लेकिन उनकी भक्ति और साध्वी के वस्त्रों में लोग उत्सुक हैं. हर्षा, जो एक लोकप्रिय सेलेब्रिटी होस्ट और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर हैं, अब भक्ति के मार्ग पर चल रही हैं. लोग जानना चाहते हैं कि क्या कारण रहा कि उन्होंने अपनी पहले की दुनिया को छोड़कर यह रास्ता अपनाया। आइए, जानते हैं हर्षा रिछारिया से उनके इस बदलाव के बारे में.

अचानक कैसे हुआ बदलाव?

महाकुंभ के दौरान जब हर्षा रिछारिया से यह सवाल पूछा गया कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जिसने उन्हें अपनी जिंदगी में बदलाव लाने की प्रेरणा दी, या कौन सी शख्सियत रही जिसने उन्हें भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया? इसके जवाब में हर्षा रिछारिया ने कहा कि अब उन्हें सिर्फ शांति चाहिए. वे मानती हैं कि मंत्रों का जाप और भजन सुनने से उन्हें सुकून मिलता है. हर्षा के अनुसार, अब वह अपने समय का अधिकांश हिस्सा ईश्वर का ध्यान करने में बिता रही हैं.

किसने किया मोटिवेट?

हर्षा रिछारिया, जो आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज की शिष्या हैं और निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हुई हैं, उनका कहना है कि उनके गुरुदेव से मिलने के बाद ही उन्हें अपने जीवन में बदलाव की प्रेरणा मिली. हर्षा ने महसूस किया कि अब तक उन्होंने अपने प्रोफेशन में जो करना था, वह कर लिया था. अब उनका लक्ष्य सिर्फ भक्ति के मार्ग पर चलना और खुद को ईश्वर की सेवा में समर्पित करना था.

जब हर्षा ने गुरुदेव से संन्यास लेने की इच्छा जताई और कहा कि वह अपना पेशा छोड़कर गुरु दीक्षा लेना चाहती हैं, तो स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने उन्हें समझाया कि पेशा छोड़ना कोई हल नहीं है. उन्होंने कहा कि हर चीज का अपना समय होता है. जो जिम्मेदारियां ईश्वर ने दी हैं, उन्हें पहले पूरा करना चाहिए. जब सही समय आएगा और सभी कर्तव्य समाप्त हो जाएंगे, तब वह खुद उन्हें संन्यास दीक्षा देंगे.

अभी नहीं मिली संन्यास दीक्षा

हालांकि, हर्षा रिछारिया को अभी अपने गुरुदेव से संन्यास दीक्षा नहीं मिली है और वह पूरी तरह से साध्वी नहीं बनी हैं, लेकिन वह इस रास्ते पर चल रही हैं. जब उन्हें गुरुदेव से दीक्षा मिलेगी, तभी वह संन्यासी कहलाएंगी. इस कारण से उन्हें अभी साध्वी कहना उचित नहीं है.

इसके बाद हर्षा ने अपना शहर बदला और उत्तराखंड आकर बस गईं. उनका कहना है कि धीरे-धीरे उनका ध्यान हर चीज से हटकर केवल भक्ति में लगने लगा. भजन सुनने से उन्हें गहरी शांति मिल रही है, और अब भक्ति ही उनका जीवन का मार्ग बन गया है. वह अब अपने पिछले जीवन को पूरी तरह से छोड़ चुकी हैं और इसी भक्ति के रास्ते पर रहना चाहती हैं.

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