Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि अयोध्या के राम मंदिर के अभिषेक की तिथि को 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाया जाना चाहिए' उन्होंने इसे भारत की 'सच्ची स्वतंत्रता' की स्थापना का प्रतीक बताया, जो कई शताब्दियों तक 'पराचक्र' (विदेशी आक्रमण) का सामना करने के बाद संभव हुई है.
बता दें कि 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में अयोध्या के भव्य राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार यह अभिषेक समारोह 11 जनवरी 2025 को एक वर्ष पूरा कर चुकी है.
भागवत ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी का विरोध करने के लिए नहीं बल्कि भारत के 'स्व' को जगाने और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलने के लिए शुरू किया गया था. उन्होंने इसे एक ऐसा प्रयास बताया जो न केवल भारत को अपने पैरों पर खड़ा करेगा बल्कि पूरी दुनिया को रास्ता दिखाने में सक्षम बनाएगा. इंदौर में आयोजित एक समारोह में भागवत ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को 'राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार' से सम्मानित किया. चंपत राय ने इस पुरस्कार को राम मंदिर आंदोलन के सभी ज्ञात और अज्ञात योगदानकर्ताओं को समर्पित किया और कहा कि यह मंदिर हिंदुस्तान के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है और मैं इसके निर्माण के लिए केवल एक माध्यम हूं.
समारोह में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने घोषणा की कि इंदौर में होलकर वंश की महान शासक देवी अहिल्याबाई के सम्मान में एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा. महाजन ने कहा कि यह स्मारक लोगों को देवी अहिल्याबाई के प्रेरणादायक जीवन से परिचित कराएगा. इंदौर स्थित 'श्री अहिल्याोत्सव समिति' द्वारा दिया जाने वाला यह पुरस्कार सामाजिक क्षेत्रों में योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है.
इससे पहले यह सम्मान नानाजी देशमुख, विजया राजे सिंधिया, रघुनाथ अनंत माशेलकर और सुधा मूर्ति जैसी हस्तियों को दिया जा चुका है. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि राम मंदिर का निर्माण देश के आत्मसम्मान और संस्कृति की पुनर्स्थापना का प्रतीक है. उन्होंने यह भी जोर दिया कि मंदिर निर्माण के दौरान देश में कोई कलह नहीं हुई, जो भारतीय समाज की एकता और सहिष्णुता का परिचायक है.