एस जयशंकर ने विदेश मंत्री के रूप में संभाला प्रभार,चीन सीमा विवाद पर कही ये बात

New Delhi: विदेश मंत्री एस जयशंकर नेआज विदेश मंत्रालय पहुंचकर अपना कार्यभार संभाला. एस जयशंकर लगातार दूसरी बार विदेश मंत्री बनाए गए हैं. बीजेपी सरकार 2.0 में भी उन्हें विदेश मंत्रालय जैसे अहम विभाग कि जिम्मेदारी मिली थी.

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New Delhi: पीएम नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में एस जयशंकर अपने मंत्रिमंडल में बरकरार रखने के एक दिन बाद एस जयशंकर ने आज विदेश मंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया. 69 वर्षीय एस जयशंकर राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण सहित बीजेपी के उन तमाम वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने पिछली सरकार में संभाले गए मंत्रालयों को बरकरार रखा है.

महत्वपूर्ण अभियानों का केंद्र 

एस जयशंकर ने कहा कि एक बार फिर से विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए यह बहुत बड़ा सम्मान है. बीजेपी सरकार 2.0 में इस मंत्रालय ने बेहतर प्रदर्शन किया. हमने G20 की अध्यक्षता की. हमने वैक्सीन मैत्री आपूर्ति सहित कोविड जैसी चुनौतियों का सामना किया. भारत ऑपरेशन गंगा वह ऑपरेशन कावेरी जैसे महत्वपूर्ण अभियानों का केंद्र भी था. बीते दस साल में पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह मंत्रालय बहुत ही जन-केंद्रित मंत्रालय बन गया है. आप इसे हमारी बेहतर पासपोर्ट सेवाओं और विदेशों में भारतीयों को दिए जाने वाले सामुदायिक कल्याण कोष समर्थन के संदर्भ में भी देख सकते हैं.

भारत के हितों की रक्षा करना

भारत की सीमा पर चीन की धमकी वाली रणनीति से हमें नीपटना है, और वही पश्चिम एशिया देशो मे चल रही स्थिति और यूक्रेन में संघर्ष को देखते हुए भारत के हितों की रक्षा करना, एस जयशकर के दुसरे कार्यकाल में प्रमुख प्राथमिकताएं होने की उम्मीद है. एस जयशकर ने कहा कि किसी भी देश में और खासकर लोकतंत्र में किसी भी सरकार का लगातार तीसरी बार जनता द्रारा चुना जाना बहुत बड़ी बात है. इसलिए दुनिया को निश्चित रूप से लगेगा कि भारत देश राजनीतिक स्थिरता बरकरार है.

जहां पर सवाल ​​पाकिस्तान और चीन का है, उन दोनो देशों के साथ संबंध अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं. चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और हम पाकिस्तान के साथ, वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद जैसे मुद्दे का समाधान खोजने कि कोशिश करेगें. 

अग्रणी मंत्रियों में से एक

एस जयशंकर ने अपने कार्यकाल के दौरान ने वैश्विक मंच पर कई अहम मुद्दों पर भारत की स्थिति को स्पष्ट रूप से रखते हुए अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया, और इस प्रकार वे पीएम नरेन्द्र मोदी की पिछली सरकार में प्रभावशाली प्रदर्शन रिकॉर्ड वाले अग्रणी मंत्रियों में से एक के रूप में उभरे. एस जयशंकर ने कहा, हमें पूरा विश्वास है कि यह हमें 'विश्व बंधु' के रूप में स्थापित करेगा, एक ऐसा देश जो बहुत अशांत दुनिया में है, एक बहुत विभाजित दुनिया में है, संघर्षों और तनावों की दुनिया में है. 

घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय 

एस जयशंकर ने विदेश नीति के मामलों को घरेलू चर्चा में लाने का श्रेय भी दिया जाता है, विशेष रूप से भारत के जी20 की अध्यक्षता के दौरान जयशंकर ने  पीएम नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत भारत के विदेश सचिव और संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और चेक गणराज्य में राजदूत के रूप में कार्य किया. एस जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) भी थे. जयशंकर ने मास्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और टोक्यो में दूतावासों में अन्य राजनयिक कार्यों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में भी काम किया है.

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