Silkyara Operation: उत्तरकाशी में मौजूद जिस सिलक्यारा सुरंग में आए मलबे को लेकर 41 मजदूर 17 दिन तक उसके अंदर कैद थे. वहीं उसकी जियोलॉजिकल रिपोर्ट आने के बाद कई सवाल पैदा हो रहे हैं. दरअसल सुरंग निर्माण से पहले हुए सर्वेक्षण में यहां हार्ड रॉक मतलब कठोर चट्टान मौजूद होने की बात बताई गई थी. परन्तु निर्माण कार्य की शुरूआत की गई तो पता चला कि भीतर मिट्टी के पहाड़ हैं. बता दें कि इस सुरंग का निर्माण साल 2018 में शुरू हुआ था.
वहीं निर्माण कार्य से जुड़े हुए इंजीनियर प्रदीप नेगी और सेफ्टी मैनेजर राहुल तिवारी का कहना है कि, डीपीआर में मौजूद जियो रिपोर्ट में जो दावा किया वह निर्माण में दिखाई नहीं दिया. उन्होंने कहा कि, सुरंग निर्माण के रास्ते में चट्टानों के बजाए भुरभुरी मिट्टी पाई जा रही है, जो कि एक चुनौती है. वहीं लूज मिट्टी होने के कारण बार-बार मलबा गिरता है. जबकि इस बार का मलबा भी इसकी वजह समझा जा सकता है. आगे बताया कि, इसके बावजूद भी सुरंग का निर्माण सुरक्षित चल रहा है.
आपको बता दें कि, सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य जुलाई साल 2022 में पूरा हो जाना था. मगर इसमें विलंब हो रहा था, अब हादसा होने एवं रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा चलने के उपरांत सुरंग निर्माण का समय और बढ़ गया है. जबकि अधिकारियों का कहना है कि, टाईम रहते निर्माण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
वहीं ऑपरेशन सिलक्यारा की सफलता के बाद सारा देश खुश था. इस दौरान जश्न में दुनिया के नामी टनल एक्सपर्ट प्रो.अर्नाल्ड डिक्स गढ़वाली गीत पर डांस करते नजर आए. जबकि 41 जिंदगियों को सुरक्षित बाहर निकालने की यह खुशी उन्होंने एसडीआरएफ के जवानों संग इन्जॉय की. हालांकि सफलता का यह पल एक ऑस्ट्रेलियन इंजीनियर के लिए उत्तराखंड की बोली, भाषा, गीत, परंपरा में खुद को शामिल कर लेने की तरह था.