Solar Missions: चंद्रयान-3 की अपार सफलता के उपरांत भारत ने सूर्य मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च किया है. इसे आज यानि 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है. ये लैंग्रेजियन बिंदु 1 पर जाएगा. पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर उपस्थित इस बिंदु तक मिशन को पहुंचने में करीब 4 महीने का समय लगने वाला है. आदित्य-एल1 भारत का प्रथम अथवा दुनिया का 23 वां सौर मिशन है. परन्तु ये विभिन्न वैश्विक मिशनों से बहुत अलग तरीके से काम करने वाला है.
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला उपकरण है. वहीं इसरो ने इसका नाम भारतीय सौर मिशन बताया है, जो अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी में आता है. मिशन को सूर्य व पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 के चारों तरफ एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने के उद्देश्य से भेजा गया है. जो पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूरी पर स्थित है.
साल 1981 में जापान की एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी ने प्रथम सौर उपग्रह हिनोटोरी को लॉन्च किया था. इसका मुख्य उद्देश्य कठोर एक्स-रे का उपयोग करके सौर की ज्वाला का अध्ययन किया जाना था. वहीं जापान ने साल 1991 में लॉन्च किया सौर मिशन जिसका नाम योहकोह है.
साल 1990 के अक्तूबर में ईएसए ने सूर्य के ध्रुवों पर एवं नीचे अंतरिक्ष के वातावरण के बारे में जानने के लिए यूलिसिस नामक यान लॉन्च किया था.
चीन ने साल 2022 के 8 अक्तूबर में उन्नत अंतरिक्ष-आधारित सौर वेधशाला को राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र से लॉन्च किया था.
साल 2018 के अगस्त में नासा ने पार्कर सोलर नामक प्रोब लॉन्च किया था. वहीं 2021 के दिसंबर में पार्कर ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल में कोरोना नामक यान की उड़ान भरी जो वहां जाकर चुंबकीय क्षेत्रों, चुंबकीय कणों का अध्ययन किया था. वहीं नासा ने बताया कि यह पहली बार है जब किसी यान ने सूर्य को छुआ है.