हाथरस में भगदड़ से मचा मौत का तांडव, प्रशासन खुद समझ नहीं पाया कितना बड़ा है हादसा

Hathras News: हाथरस में कई दिनो से चल रही तैयारियों के बीच भगदड़ ने मौत का तांडव मचाया कि जिसने भी सुना उसके हाथ पांव फूल गए. पुलिस ये नहीं समझ पाई कि आखिर हादसा कितना बड़ा है और क्या करना है.

Date Updated
फॉलो करें:

Hathras News: साकार विश्वहरि भोले बाबा के सत्संग में शामिल होने आने वाले भक्तों को तनिक भी भनक नही था कि ऐसा भी होगा. पिछले कई दिन से चल रही तैयारियों के बीच कुछ मिनट की भगदड़ ने मौत का ऐसा तांडव मचाया कि जिसने भी सुना उसके हाथ पांव फूल गए. पुलिस प्रशासन ये ही नहीं समझ पाया कि आखिर हादसा कितना बड़ा है और क्या करना है. बस जिसको जहां जैसे जगह मिली, उसने शवों और घायलों को अस्पतालों की ओर भिजवाना शुरू कर दिया.

जिसके बाद मौके पर जो हालात थे, वह वाकई रौंगटे खड़े कर देने वाले थे. एक तो वहां लोग रोते बिलखते हुए अपने लोगों को तलाश रहे थे. दूसरा पुलिस प्रशासन की तरफ से वहां ऐसे कोई इंतजाम नहीं थे, जिससे उन्हें उनके अपनों तक पहुंचाया जा सके या मिलवाया जा सके. देर शाम तक अव्यवस्थाओं का आलम था और लोग अपनों की तलाश में इधर उधर भटक रहे थे. 

झलक देखकर नतमस्तक हो सकेंगे

जिस समय यह हादसा हुआ, उस समय बस यातायात प्रबंधन के लिए नेशनल हाईवे यानि पुराने जीटी रोड पर सिकंदराराऊ पुलिस की ड्यूटी थी. लोगों की भीड़ निकलने के दौरान सड़क पर किसी के साथ कोई हादसा न हो, इसके लिए यह ड्यूटी लगाई थी. इसके चलते कानपुर की ओर से आने वाले यातायात को रोक कर रखा गया था. मंच स्थल से हाईवे तक बाबा के काफिले को निकालने के लिए एक बाईपास आयोजकों ने बनाया था. भीड़ सड़क पर दोनों ओर जमा था.

आयोजकों का प्रयास था कि बाबा का काफिला जब निकलेगा तो वे उन्हें एक झलक देखकर नतमस्तक हो सकेंगे और फिर काफिले की चरण धूल ले सकेंगे. भक्तो को सेवादारों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था. जैसे ही बाबा का काफिला निकला. अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई. वहीं भगदड़ मच गई. इसके बाद जो हालात बने. वे किसी से छिपे नहीं है. 

कोई राहत या आपदा कैंप नहीं

हाथरस पुलिस ने एटा मेडिकल कॉलेज, ट्रामा सेंटर सिकंदराराऊ, जिला मुख्यालय हाथरस व मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ भेजवाया. उस समय की स्थिति यह थी कि जो हाथ लग जाए या नजर आ जाए, उसे एंबुलेंस या वाहन में लादकर भेजवाया जा रहा था. वहां पर ना ही उसकी पहचान पूछी जा रही थी और उसके किसी परिचित का इंतजार किया जा रहा था. बेहद दुखद था कि दोपहर के लगभग दो बजे हुई घटना के बाद शाम 5 से 6 बजे तक भी प्रशासन ने मौके पर कोई राहत या आपदा कैंप नहीं बनवाया गया था. और ना ही कोई ऐसा प्रतिनिधि बैठाया गया था, जो वहां अपनों को खोज रहे लोगों को संतुष्ट कर सके. ये बता सके कि आपका रिश्तेदार इस अस्पताल में है. सभी अपने हाल पर  बिलख रहे थे. जिसे जो जानकारी मिल रही थी. वह वहां  दौड़े चले जा रहे थे.

घायलों को ऑक्सीजन की जरूरत

हादसे के लिए सिकंदराराऊ स्थित ट्रॉमा सेंटर तैयार नहीं था. यहां चिकित्सक, स्टाफ और ऑक्सीजन तक नहीं था. कराहते हुए घायल पहुंचते रहे और उपचार न मिलने से दम तोड़ते रहे. टॉमा सेंटर पर करीब 2.45 बजे शवों और घायलों को लाना शुरू हुआ. हालात ऐसे थे कि ना ही मौके पर चिकित्सक थे और न ही पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद था. यहा तक की बिजली भी नहीं थी. बदहवास हालत में पहुंचे घायलों को ऑक्सीजन की जरूरत थी, लेकिन वह भी नहीं मिला. बिजली नही होने के कारण कमरों में पंखे बंद पड़े थे. कमरों में अंधेरा छाया था. एंबुलेंस से आए घायलों को ऑक्सीजन के लिए सत्संग स्थल से साथ में आए परिजन व अन्य लोग अंदर कक्षों तक लेकर पहुंचे, लेकिन यहां तत्काल उपचार नहीं मिलने के कारण कई घायलों ने दम तोड़ दिया.

ट्रॉमा सेंटर और सीएचसी पर जेनरेटर है, लेकिन जब उसे चलाने की बात आई तो पता चला कि जेनरेटर में तेल ही नहीं है. देर शाम तक स्वास्थ्य विभाग व प्रशसनिक अमला जेनरेटर के लिए तेल तक इंतजाम नहीं कर सका और पूरे अस्पताल परिसर में अंधेरा छाया रहा.

चिकित्सक और स्टॉफ मौके पर नहीं 

डीएम आशीष कुमार मौके पर पहुंच गए लेकिन हाथरस से चिकित्सक और स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंचा. डीएम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति देखी तो उन्होंने नाराजगी जताई. जब सीएमओ से बात की तो उन्होंने बताया कि चिकित्सक निकल चुके है. करीब दो घंटे तक चिकित्सीय स्टॉफ मौके पर नहीं पहुंच सका. आलम यह रहा कि घायलों को उपचार के लिए रेफर करना शुरू कर दिया गया.

Tags :

    Subscribe to Our YouTube Channel!

    Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!