नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी की अवधि के दौरान इस्पात का आयात 20 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 82.9 लाख टन हो गया है, जिससे देश इस्पात का शुद्ध आयातक बना रहा. यह जानकारी शुक्रवार को आधिकारिक आंकड़ों से सामने आई है.
वित्त वर्ष 2023-24 के पहले दस महीनों में भारत ने 68.9 लाख टन इस्पात का आयात किया था. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में भारत ने तैयार इस्पात का शुद्ध आयातक बने रहने की स्थिति को बनाए रखा. तैयार इस्पात का आयात 82.92 लाख टन तक पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 20.3 प्रतिशत अधिक है.
हालांकि, इस्पात निर्यात में इस अवधि के दौरान 28.9 प्रतिशत की गिरावट आई. यह आंकड़ा 39.94 लाख टन रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि में यह 56.19 लाख टन था. निर्यात में आई इस गिरावट को लेकर उद्योग के विशेषज्ञ चिंतित हैं और वे इसके कारणों की जांच की मांग कर रहे हैं.
भारत के स्टील और स्टेनलेस स्टील उद्योग के खिलाड़ी लगातार सरकार से आयात के मुद्दे पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं. उनका कहना है कि खासकर चीन जैसे चुनिंदा देशों से आयात में बढ़ोतरी के कारण उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो रही है. उद्योग जगत का मानना है कि यह स्थिति देश की स्टील उत्पादन क्षमता और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकती है.
इस्पात सचिव संदीप पौंड्रिक ने हाल ही में कहा था कि भारत को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर वर्ष 2030 तक 10 करोड़ टन इस्पात उत्पादन क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है. उनका कहना है कि इससे भारत को अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी और आयात पर निर्भरता कम होगी.
भारत का इस्पात आयात में बढ़ोतरी से यह स्पष्ट है कि देश को आयात पर निर्भरता कम करने के लिए और अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए सरकार को आयात पर कड़ी निगरानी रखनी होगी.
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